ट्रेन में जूठे कंटेनर धो रहा था पैंट्री स्टाफ, वीडियो पर भड़के लोग

दरअसल वायरल वीडियो में कुछ लोग ट्रेन के पेंट्री कार में डिस्पोजेबल कैसरोल कंटेनरों को धोते हुए नजर आ रहे थे। दावा किया गया कि यह वीडियो इरोड-जोगबनी अमृत भारत एक्सप्रेस का है। वीडियो फैलते ही लोगों ने रेलवे और IRCTC पर सवाल उठाने शुरू कर दिए।

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि ट्रेन में खाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले डिस्पोजेबल कंटेनर धोकर दोबारा यात्रियों को दिए जा रहे हैं। यह वीडियो सामने आने के बाद लोगों में नाराजगी फैल गई और रेलवे की स्वच्छता व्यवस्था पर सवाल उठने लगे। कई लोगों ने कहा कि अगर यह सच है, तो यह यात्रियों की सेहत के साथ खिलवाड़ है। लेकिन अब सरकार की ओर से इस दावे को पूरी तरह गलत बताया गया है। तो आइए जानते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो के फैक्ट चेक विभाग ने इस वीडियो को झूठा बताते हुए साफ कहा है कि ऐसा कोई दोबारा इस्तेमाल नहीं हो रहा था। PIB ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा, “वीडियो में जो स्टाफ कंटेनर धोते हुए नजर आ रहे हैं, वे इन्हें दोबारा उपयोग करने के लिए नहीं, बल्कि फेंकने से पहले साफ कर रहे थे।” यानी वीडियो में जो दिख रहा था वो गलत ढंग से दिखाई गई है।

वायरल वीडियो का दिखा सच

दरअसल वायरल वीडियो में कुछ लोग ट्रेन के पेंट्री कार में डिस्पोजेबल कैसरोल कंटेनरों को धोते हुए नजर आ रहे थे। दावा किया गया कि यह वीडियो इरोड-जोगबनी अमृत भारत एक्सप्रेस का है। वीडियो फैलते ही लोगों ने रेलवे और IRCTC पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। इस विवाद को बढ़ता देख IRCTC ने तुरंत जांच शुरू की और स्पष्ट बयान जारी किया।

वीडियो है भ्रामक

IRCTC ने बताया कि वीडियो में जो दिखाया गया है, वह भ्रामक है। उन्होंने कहा कि ट्रेन में यात्रियों को जो कंटेनर दिए जाते हैं, उनका इस्तेमाल सिर्फ एक बार किया जाता है। उन्हें दोबारा उपयोग में नहीं लाया जाता। स्टाफ जो कंटेनर धो रहा था, वे असल में उन्हें डिस्पोज करने से पहले साफ कर रहे थे ताकि ट्रेन के अंदर गंदगी या बदबू न फैले। इसके साथ ही IRCTC ने यह भी बताया कि उन्होंने इस मामले में संबंधित वेंडर और कर्मचारियों से बात की है। उनकी रिपोर्ट में भी यह साबित हुआ कि किसी भी कंटेनर को दोबारा यात्रियों को नहीं दिया गया। संस्था ने सोशल मीडिया पर वेंडर और स्टाफ के बयान भी साझा किए ताकि स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो सके।

सच्चाई जाननी है जरूरी

यह मामला इस बात की भी याद दिलाता है कि सोशल मीडिया पर दिखने वाली हर चीज पर भरोसा करना सही नहीं होता। किसी भी वीडियो या पोस्ट को शेयर करने से पहले उसकी सच्चाई की जांच करना जरूरी है वरना अफवाहें फैलती हैं और भ्रम पैदा होता है।

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