टिकट के घमासान पर कांग्रेस-भाजपा में टक्कर
गुजरात विधानसभा चुनाव का परिणाम चाहे जो हो लेकिन, भीतरी घमासान के मोर्चे पर भाजपा जैसी अनुशासित कही जाने वाली पार्टी बिखराव की शिकार कांग्रेस पार्टी को बराबर की टक्कर दे रही हैं। हालांकि, टिकट की घोषणा में भाजपा कांग्रेस से काफी आगे रही है और जब कांग्रेस पहले चरण के नामांकन के ठीक एक दिन पहले महज 77 सीटों पर उम्मीदवारों की सूची जारी कर सकी तब भाजपा 106 टिकट घोषित कर चुकी थी। यही वजह है भाजपा में विरोध प्रदर्शन पहले शुरू हो गया और अहमदाबाद स्थित पार्टी मुख्यालय पर रविवार को न सिर्फ बाउंसर बुलाने पड़े बल्कि उसे कुछ समय से लिए बंद भी करना पड़ा।
विडंबना देखिए कि परिवारवाद के खिलाफ खड़ी भाजपा के सांसद लीलाधर वाघेला ने धमकी दी है कि अगर उनके बेटे को टिकट नहीं मिला तो वे पार्टी से इस्तीफा दे देंगे। उधर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए प्रजापति समुदाय के नेता दलसुख प्रजापति ने चार टिकट की मांग करते हुए प्रदर्शन किया तो दलित विधायक और भाजपा के संसदीय सचिव रहे जेठा सोलंकी ने इस्तीफा देकर दफ्तर पर विरोध प्रदर्शन किया।
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सत्तारूढ़ दल होने और चुनाव जीतने की बड़ी उम्मीद रखने के साथ भाजपा में इसलिए भी ज्यादा घमासान मचा है, क्योंकि उसने पिछले दिनों कांग्रेस में तोड़फोड़ करते हुए उसके कई नेताओं को टिकट का आश्वासन दिया है। जाहिर है कि सत्ता की राजनीति का सबसे फलदायी बगीचा चुनाव ही है और उसमें प्रवेश पाने और लोकतंत्र का फल चखने के लिए लालायित नेता पार्टी अनुशासन क्या जानें।
उधर कांग्रेस ने सोमवार को 77 उम्मीदवारों की सूची क्या जारी की पटेल अनामत आंदोलन समिति (पास) और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो गई। एक दिन पहले कांग्रेस और पास के नेता हार्दिक पटेल के बीच चुनावी समझौता हुआ था और कांग्रेस उसे नौ सीटें देने पर राजी हुई थी। विडंबना देखिए कि हार्दिक की तरफ से राजकोट में इस समझौते की घोषणा से पहले सूरत में घमासान हो गया।
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कांग्रेस के नेता भरत सिंह सोलंकी भी राष्ट्रीय नेताओं के दबाव से आजिज हैं और चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी है। देश अपने भविष्य के संदर्भ में गुजरात चुनाव पर तरह तरह के कयास लगा रहा है इसके बावजूद स्थानीय नेताओं के लिए उनका कॅरियर सर्वोपरि है और उसमें मारपीट और प्रदर्शन होना आम बात है।