टमाटर में भी वायरस-बर्बाद हो रही फसल, एक साल के लिए बंद करना पड़ सकता है उत्पादन
कोरोना महामारी से जूझ रहे महाराष्ट्र के किसानों के लिए एक और मुसीबत खड़ी हो गई है। राज्य के किसान कोविड-19 के साथ-साथ अब टमाटर की फसल में वायरस घुसने से परेशान हैं। इसके चलते तैयार खड़ी हजारों एकड़ टमाटर की फसल बर्बाद हो रही है। कहा जा रहा है कि इस पर काबू ना पाया जा सका तो एक साल के लिए टमाटर का उत्पादन बंद करना पड़ सकता है।
किसान इसे ‘तिरंगा वायरस’ कह रहे हैं। इससे टमाटर की खेती में पैदा होने वाले टमाटर के रंग और आकार में अंतर आ रहा है। इस वायरस की वजह से टमाटर में खड्ढे हो रहे हैं और अंदर से काला होकर सड़ने लगता है। टमाटर पर पीले चिट्टे होने की वजह से अब उसकी खेती पर संकट मंडराने लगा है।
टमाटर उत्पादक किसान रमेश वाकले के मुताबिक “हमारे उत्पादित टमाटर खेत में पीले हो रहे है. बाजार में इनके खरीदार नहीं मिल रहे. एक तो पहले कोरोना की मार और अब फसल खराब हो रही है। हमारा जीना मुश्किल हो गया है।” किसान रंगनाथ भालके ने कहा, “हमारी फसल खराब हो रही है. टमाटर में तीन रंग हमें दिख रहे हैं. न जाने कौन सा वायरस हमारे टमाटर के फसल में आया। हम इसे ‘तिरंगा वायरस’ नाम से संबोधित कर रहे हैं।”
बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में महाराष्ट्र में फरवरी और अप्रैल के दैरान टमाटर की खेती का चलन बढ़ा है। टमाटर की खेती नकदी फसल है। इस खेती के लिए किसान काफी मेहनत करते हैं। एक एकड़ खेती में तकरीबन एक से दो लाख खर्चा आता है। फरवरी में जो टमाटर के पौधे लगाए गए, उनमें नजर आया कि टमाटर पीले हो रहे हैं, बाद में उनका रंग सफेद भी होने लगा, धब्बे दिखने लगे।
टमाटर अंदर से सड़ गए हैं। टमाटर में लगे नए वायरस से संगमनेर और अकोला के किसान परेशान हैं। अहमदनगर जिले के अकोला और संगमनेर भाग के 5 हजार एकड़ क्षेत्र के टमाटर पर ‘तिरंगा वायरस’ का प्रभाव पड़ा है।