जेल में कैदियों को मिलते हैं ये अधिकार, ताजा भोजन से लेकर…

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी चिदंबरम के तिहाड़ जेल भेजे जाने के बाद से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जेल में कैदियों को किस तरह रखा जाता है? उनको क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं? कैदियों के साथ कैसा व्यव्हार किया जाता है? जेल में बंद कैदियों के क्या अधिकार होते हैं? इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय के वकील उपेंद्र मिश्रा का कहना है कि जेल प्रशासन और कैदियों के अधिकार और कर्तव्यों के लिए प्रिजन्स एक्ट-1894 और मॉडल प्रिजन्स मैनुअल बनाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा दिल्ली की जेलों को संचालित करने के लिए दिल्ली प्रिजन्स एक्ट 2002 भी बना है। इनमें जेल में बंद कैदियों को पर्याप्त सुविधाएं दिए जाने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए प्रावधान किए गए हैं। वकील मिश्रा ने बताया है कि मॉडल प्रिजन्स मैनुअल के अनुसार किसी अपराध में सजा पाए कैदियों की अपेक्षा अंडर ट्रायल कैदियों को अधिक अधिकार दिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि देश के संविधान में कैदियों को भी मौलिक अधिकार दिए गए हैं। कैदी होने का अर्थ यह कतई नहीं होता है कि उनके सभी मौलिक अधिकार समाप्त हो गए हैं।

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शीर्ष अदालत के अधिवक्ता मिश्रा का कहना है कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बगैर किसी भी कैदी को उसके मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता है। कानून किसी कैदी के साथ दुर्व्यवहार या अमानवीय वर्ताव करने या फिर क्रूरता बरतने की अनुमति नहीं देता है। यदि जेल में किसी कैदी के मौलिक अधिकारों का हनन किया जाता है, तो वह अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सर्वोच्च न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है। उन्होंने कहा कि कैदियों को ताज़ा भोजन और रोज़गार भी दिया जाता है और उनसे जो काम करवाया जाता है उसका मेहनताना भी उन्हें भुगतान किया जाता है।

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