जेएनयू : ये रहे आरोपियों के नाम और फोटो, इतने बाहरी, ये लेफ्ट और ये एबीवीपी के
नई दिल्ली। जेएनयू हिंसा मामले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए दिल्ली पुलिस ने कुछ फोटो जारी किए हैं। दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने फोटो और नाम जारी करते हुए कहा है कि अभी जांच चल रही है।
इसके साथ ही उन्होंने आरोपियों में जेएनयू के पूर्व छात्र चुनचुन कुमार, आईशी घोष, डोलन समान्ता, विकास विजय, प्रिया रंजन, सुचेता तालुकदार, पंकज मिश्रा, योगेंद्र भारद्वाज, विकास पटेल का नाम जारी किए हैं।
इसके साथ रंधावा ने बताया कि इन सभी लोगों के खिलाफ सबूत जुटाने में सीसीटीवी कैमरों ने मदद की। इन छात्रों में से चार लेफ्ट जबकि दो योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल छात्र संगठन एबीवीपी से जुड़े बताए जा रहे हैं।
वहीं साबरमती हॉस्टल में तोड़फोड़ तो जो वीडियो सबसे ज्यादा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था उसकी फोटो जारी नहीं की है। पुलिस का कहना है कि बहुत सारे छात्र पढ़ना चाहते हैं, लेकिन लेफ्ट के चार ग्रुप के छात्र उन्हें रजिस्ट्रेशन नहीं कराने दे रहे हैं। स्टाफ के साथ भी धक्का मुक्की कर रहे हैं। सर्वर को बंद कर दिया गया।
दिल्ली पुलिस ने आरोप भी लगाया कि लेफ्ट छात्र संगठनों ने ही पेरियार हॉस्टल पर हमला किया था। हालांकि दिल्ली पुलिस ने ये भी माना कि साबरमती हॉस्टल पर किया गया हमला सुनियोजित था और कमरों को टार्गेट करके ही हमला किया गया था।
जानकारों की मानें तो दो दिन पहले ही दिल्ली पुलिस और जांच के लिए गठित एसआईटी को अहम सुराग मिल गये थे। रविवार को जेएनयू परिसर में दिखाई दिये नकाबपोश हमलावरों की पहचान भी हो गई थी। एसआईटी को कई वीडियो बाद में ऐसे मिले थे जो अहम सुबूत साबित हुए।
वीडियो और दूसरे सुबूत जुटाने के लिए एसआईटी ने पब्लिक नोटिस भी जारी किया था। अखिल भारतीय विद्वार्थी परिषद ने आरोप लगाए थे कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जेएनयू परिसर में आकर हंगामा किया था।
हिंसा के दौरान कार्रवाई नहीं करने को लेकर हो रही थी पुलिस की आलोचनाजेएनयू परिसर में हिंसा के दौरान कार्रवाई नहीं करने को लेकर दिल्ली पुलिस की आलोचना हो रही थी। तोड़फोड़ के मामले में जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष समेत अन्य यूनियन नेताओं को नामजद करने के चलते भी पुलिस की खासी किरकिरी हुई थी।
इस पर माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने आरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस मोदी सरकार की ‘कठपुतली’ की तरह काम कर रही है। उन्होंने जेएनयू हिंसा की जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग की थी। और कहा था कि पूर्वाग्रह वाली पुलिस की जांच की कोई प्रामाणिकता नहीं है।