जेएनयू छात्र संघ चुनाव पर रोक से संगठनों के बीच बढ़ गया टकराव, एक-दूसरे को ठहरा रहे जिम्मेदार

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव पर लगी रोक को लेकर एबीवीपी और लेफ्ट पैनल आमने-सामने है। दोनों एक दूसरे को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं जेएनयू प्रशासन ने चुनाव समिति को पर्याप्त सुरक्षा न मुहैया कराने संबंधी आरोप को सिरे से खारिज कर दिया।
एबीवीपी ने आरोप लगाया कि चुनाव समिति निष्पक्षता छोड़कर लेफ्ट संगठनों की टीम बी के रूप में काम कर रही है। चुनाव के नामांकन की अंतिम तिथि 15 अप्रैल निर्धारित थी और नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 16 अप्रैल थी। मगर, लेफ्ट संगठनों के दबाव में समिति ने नाम वापसी की तिथि अलोकतांत्रिक रूप से 17 अप्रैल तक बढ़ा दी। यह सब आइसा और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के बीच गठबंधन न होने को लेकर किया गया।
लेफ्ट संगठनों के इशारे पर चल रही चुनाव समिति
जेएनयू गेट पर प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए एबीवीपी जेएनयू के इकाई अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव की प्रक्रिया में लगातार धांधली और मनमानी हो रही है। लेफ्ट संगठनों के इशारे पर चुनाव समिति द्वारा बार-बार चुनावी नियमों को तोड़ना छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला अपमान है। एबीवीपी इस षड्यंत्रकारी रवैये की कड़ी निंदा करती है।
चुनावी हिंसा के लिए एबीवीपी ने बाहरी लोगों को बुलाया
चुनाव समिति कार्यालय पर हुई तोड़फोड़ और सदस्यों के साथ हुई हिंसा को लेकर ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) की ओर से भी प्रेस वार्ता की गई। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और प्रचार समन्वयक धनंजय ने कहा कि जेएनयू चुनाव समिति कार्यालय पर हिंसा और तोड़फोड़ में बाहरी लोग भी शामिल थे। कुछ छात्रों का नाम लेते उन्होंने बताया कि वह जेएनयू के छात्र भी नहीं हैं और उन्हें चुनाव प्रक्रिया में व्यवधान सुनिश्चित करने और जेएनयू के छात्रों के लिए शत्रुतापूर्ण माहौल बनाने के लिए बाहर से लाया गया था।
चुनाव समिति सदस्यों की सुरक्षा की मांग
डीएसएफ की अभियान समन्वयक अनघा ने कहा कि जेएनयू प्रशासन को एबीवीपी के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। चुनाव समिति के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करें ताकि वह चुनाव स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से संपन्न करवा सकें। सेंट्रल पैनल के अध्यक्ष पद के लिए आइसा और डीएसएफ के संयुक्त उम्मीदवार नीतीश कुमार ने कहा कि जेएनयू प्रशासन चुनाव समिति की सुरक्षा सुनिश्चित करें उसी के बाद भयमुक्त माहौल में चुनाव संभव हो सकेगा।
चुनाव में प्रशासन को न घसीटें
वहीं चुनाव समिति को सुरक्षा मुहैया उपलब्ध कराने के संबंध में जेएनयू प्रशासन का कहना है कि समिति के पास सारे अधिकार है। प्रशासन को बेवजह इसमें घसीटा जा रहा है। शांतिपूर्ण चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव समिति की है। छात्र संगठनों के बीच की लड़ाई में प्रशासन को शामिल न किया जाएं। एक अनुमान के मुताबिक 400 से ज्यादा आंतरिक सुरक्षाकर्मी जेएनयू परिसर में तैनात है।
आदिवासी मुस्लिम महिला को बनाया उम्मीदवार
उधर, स्टूडेंट फडेरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन(बापसा), ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ), प्रोगेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन (पीएसए) ने सेंट्रल पैनल के लिए अलग-अलग पदों पर संयुक्त उम्मीदवार घोषित किए हैं। इस बार आइसा के साथ गठबंधन टूट गया है। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व संयुक्त सचिव और एआईसएफ से जुड़े मोहम्मद साजिद ने बताया कि अध्यक्ष पद के लिए पहली बार आदिवासी मुस्लिम महिला चौधरी तैय्यबा अहमद को उम्मीदवार बनाया गया है। उपाध्यक्ष पद के लिए संतोष कुमार, सचिव के लिए रामनिवास गुर्जर और संयुक्त सचिव के लिए निगम कुमारी को मैदान में उतारा गया है।