जिंदा रहने के लिए सांस जरूरी, पर स्वस्‍थ रहने के लिए गहरी सांस जरूरी

जब तक हमारी सांसें चलेंगी, तब तक हम जिंदा रह सकते हैं। यह तो हम सभी जानते हैं, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण यह बात है कि आप सांस लेते कैसे हैं? क्या आप जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं या फिर बहुत धीरे-धीरे? सांस लेने का तरीका भी हमें सेहतमंद बनाता है।

जिंदा रहने के लिए सांस जरूरी, पर स्वस्‍थ रहने के लिए गहरी सांस जरूरी, ये होंगे फायदेहजारों वर्षों से सांस लेने और छोड़ने का महत्व रहा है, जिसे आचार्यों ने प्राणायाम के अभ्यास के रूप में प्रस्तुत किया है। आचार्यों के साथ-साथ कई अध्ययनों में भी जल्दी-जल्दी नहीं, बलि्क गहरी सांस लेने को सेहत के लिए फायदेमंद बताया है। 

 
मस्तिष्क रहे सक्रिय 
जब आप मेडिटेशन के दौरान नियंत्रित रूप से सांस लेते हैं, तो ऐसा करने से आपके मस्तिष्क के आकार में वृद्धि होती है। दिमाग सक्रिय होता है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन के अनुसार, मेडिटेशन के दौरान सांस लेने की प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने से मस्तिष्क का आवरण या बाह्य त्वचा (कॉर्टिकल) को मजबूती मिलती है।
 
हृदय गति में हो सुधार
सभी की हृदय गति में अंतर होता है। हृदय गति (हार्ट रेट) में अधिक भिन्नता या अस्थिरता कई बार हार्ट अटैक का कारण भी बनता है। एक अध्ययन के अनुसार, योग से अलग यदि आप गहरी सांस लेने का अभ्यास करते हैं, तो इससे हृदय गति की अस्थिरता में सुधार होता है। आपका दिल अधिक मजबूत और स्वस्थ होता है। गहरी सांस लेने और छोड़ने मात्र से आपकी श्वसन प्रणाली पर  सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे फेफड़ों की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं। 
तनाव हो कम 
यदि आप तनाव महसूस करते हैं और योग एवं ध्यान के फायदों को जानने के बावजूद भी एंटी-डिप्रेसेंट दवाओं का सहारा लेने जा रहे हैं, तो ऐसा न करें। गहरी सांस लेकर और छोड़कर देखें। कुछ ही दिनों में तनाव से छुटकारा पा लेंगे। इससे आपका शरीर और दिमाग दोनों ही शांत अवस्था में पहुंच सकता है। मिस्तिष्क को आराम देकर तनाव से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो प्रतिदिन किसी शांत वातावरण में बैठकर अपनी सांस लेने के प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करें।  
रक्त दबाव रहे सामान्य 
यदि आपको उच्च रक्त चाप की समस्या है, तो कुछ मिनटों के लिए धीरे-धीरे गहरी सांस लें। इससे उच्च रक्त चाप की समस्या ठीक होने लगेगी। एक अध्ययन के अनुसार, धीरे एवं गहरी सांस लेने से ब्लड वेसल्स रिलैक्स होने के साथ फैलता भी है।
 
नहीं होगी एंग्जाइटी 
जरनल टीचिंग एंड लर्निंग मेडिसिन में छपे एक अध्ययन की मानें, तो जो विद्यार्थी परीक्षा से पहले प्रतिदिन डीप-ब्रीदिंग मेडिटेशन का अभ्यास करते हैं, उनमें ऐसा न करने वाले विद्यार्थियों की अपेक्षा एंग्जाइटी, खुद पर अविश्वास, ध्यान में कमी बहुत कम देखी जाती है। गहरी सांस लेने से न सिर्फ एंग्जाइटी कम होती है, बल्कि तनाव के लक्षण और नकारात्मक भावनाओं में भी कमी आती है। बच्चों को यदि आप अच्छी तरह से सांस लेने के बारे में बताते हैं, तो यह उनकी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है। परीक्षा के पहले जो बच्चे गहरी सांस लेते हैं, वे अधिक ध्यानपूर्वक परीक्षा दे पाते हैं। ऐसा करने से उनमें पाठ को दोहराने की योग्यता भी सुधरती है।
जेनेटिक संरचना में बदलाव 
कई शोधों से पता चला है कि योग, प्राणायाम और ध्यान के जरिए सांसों की गति को नियंत्रित करने से हमारी जेनेटिक संरचना में प्रभावी रूप से बदलाव आते हैं। इसमें तन के साथ-साथ मन के स्तर पर भी परिवर्तन होते हैं। शरीर में मौजूद अच्छे जींस अधिक संवेदनशील बनते हैं। 
डॉक्टर भावना बर्मी सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट का कहना है कि गहरी सांस लेने का सकारात्मक असर मस्तिष्क के साथ-साथ हमारे पूरे सेहत पर पड़ता है। इससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई अच्छी तरह से होती है। सभी नर्वस शांत हो जाते हैं। शरीर की मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं। रक्त दबाव में कमी आती है।

गहरी सांस लेना हृदय और फेफड़ों के लिए भी बहुत अच्छा माना गया है। इससे इन्हें मजबूती मिलती है। हृदय अपना काम बेहतर ढंग से कर पाता है। साथ ही एंग्जाइटी एवं तनाव से संबंधित डिसऑर्डर भी दूर होते हैं। मन-मसि्तष्क पर इसका सकारात्मक असर होता है। प्रतिदिन दो से तीन मिनट गहरी सांस लेने से ध्यान और एकाग्रता में वृद्धि होती है।  

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