जानें कितने साल में की जाती हैं उम्र कैद की सजा वाले अपराधियों की रिहाई, कैसे तय किया जात हैं…
अगर उम्र कैद की सजा काट रहे किसी अपराधी को 14 साल की न्यूनतम कैद से पहले सरकार रिहा करना चाह रही हो तो सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक पीठ तय करेगी कि 14 साल की कैद पूरी करने से पहले भी उसे जेल से रिहा किया जा सकता है या नहीं.
हालांकि पहले इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सुनवाई करके आज शुक्रवार को फैसला सुनाने का दिन तय किया था लेकिन तीन जजों की बेंच ने मामले में खुद कोई अंतिम फैसला लेने की बजाय मामले को सुनवाई के लिए पांच जजों की बेंच के सामने भेज दिया है.
बता दें कि इस मामले में हरियाणा सरकार ने एक नीति बनाई है जिसका 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर ऐलान किया गया कि उम्र कैद की सजा पाने वाले अपराधियों में जो पुरुष कैदी 75 साल से ज्यादा की उम्र का है और वो जेल में 8 साल बिता चुका है तो उसे रिहा कर दिया जाएगा.
इसी तरह उम्र कैद की सजा पाईं महिला कैदियों के बारे में ऐलान हुआ था कि जो महिला कैदी 65 साल की उम्र से ज्यादा हैं और वो 6 साल जेल में बिता चुकी हों तो उनको जेल से रिहा कर दिया जाएगा. ऐसे कैदियों का सजा के दौरान जेल में बर्ताव अच्छा होना जरूरी है और जेल में आखिरी के दो साल में किसी अन्य गंभीर अपराध में सजा ना मिली हो.
जान लें कि कानून के मौजूदा प्रावधानों के तहत उम्र कैद आखिरी सांस तक हो सकती है और कम से कम 14 साल सजा काट लेना जरूरी है. इसके बाद ही सरकार किसी कैदी को जेल में अच्छे बर्ताव के आधार पर रिहा करने का फैसला ले सकती है.