जा रही थी मुस्लिम शख्स की बारात, फिर हिन्दूओं ने किया कुछ ऐसा कि…
लखनऊ। कानपुर के बाकरगंज में हिंदू-मुस्लिम एकता की एक अनूठी मिसाल पेश की गई है। जहां हिंदुओं ने मुस्लिम बारात की सुरक्षा के लिए ह्यूमन चेन बनाकर बारात को मंजिल तक पहुंचाया।
दरअसल बाकरगंज के एक मुस्लिम परिवार में लंबे अरसे बाद शादी का कार्यक्रम था। खान परिवार अपनी बेटी जीनत का निकाह प्रतापगढ़ के हसनैन फारूकी से करने जा रहा था। लेकिन हसनैन जीनत के दरवाजे पर बारात लेकर पहुंचते उससे पहले एक परेशानी आकरक खड़ी हो गई। हसनैन के आगे मुश्किल ये थी कि वह 21 दिसंबर यानी जिस दिन बाकरगंज में कर्फ्यू लगा था उस दिन जीनत के यहां बारात लेकर जाएं कैसे?
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक शहर भर में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन और हिंसा से दूल्हे के परिजनों को चिंता हो रही थी। यहां तक कि दूल्हे और दुल्हन के परिवार वालों ने शादी की तैयारियों को रोकने तक का मन बना लिया था। सब इस असमंजस में थे कि शादी हो पाएगी या नहीं। इस बात की खबर जब पड़ोस में रहने वाले विमल चपड़िया को मिली तो उन्होंने इस मामले में कुछ करने की सोची। इसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों सोमनाथ तिवारी और नीरज तिवारी से बात की। विमल और उनके दोस्तों ने हसनैन को समझाया कि वह बारात लेकर आएं। उन्होंने हसनैन को तसल्ली दी कि वह बारात लेकर आएं बारात की सुरक्षा की जिम्मेदारी उनके ऊपर होगी।
इसके बाद हसनैन 70 लोगों की बारात लेकर पहुंचे। बारात के आने पर विमल 50 लोगों को अपने साथ लेकर पहुंचे और उन्होंने ह्यूमन चेन बनाकर सकुशल बारात को एक किलोमीटर दूर अपनी मंजिल तक पहुंचा दिया। जीनत की विदाई तक विमल और उनके दोस्त मौजूद रहे।
खास बात ये कि शादी के बाद जब जीनत अपने मायके लौटीं तो वे सबसे पहले विमल के घर गईं और उनका आशीर्वाद लिया। बता दें कि 12 साल की उम्र में जीनत ने अपने पिता को खो दिया था, उसे यही चिंता रहती थी कि ऐसे माहौल में उसकी शादी हो पाएगी या नहीं। जीनत ने बताया कि उन्होंने उम्मीद खो दी थी कि उनकी शादी हो पाएगी। जीनत विमल को अपनी जिंदगी में आए एक फरिश्ते की तरह ही मानती हैं।
इस पर विमल का कहना है कि उन्होंने वही किया जो उन्हें सही लगा। विमल ने कहा कि जीनत मेरी छोटी बहन जैसी हैं। मैं उसकी शादी टूटते नहीं देख सकता था।हम पड़ोसी हैं और मुश्किल वक्त में पड़ोसियों का साथ देना ही था।