जहरीली धुंध की चपेट में आगरा, AQI 485 पार…सांस लेना हुआ मुश्किल

शहर में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के 6 में से 3 स्टेशनों पर शहर की हवा की गुणवत्ता खराब पाई गई है, जबकि आगरा स्मार्ट सिटी के सेंसर में 7 जगहों पर एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से 478 के बीच है। इन सभी जगहों पर सांस लेना कठिन है। सांसों के इस संकट के बीच प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्मार्ट सिटी के सेंसर से दोगुने से ज्यादा का अंतर एक्यूआई के आंकड़ों में आ रहा है।

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (यूपीएमआरसी) इन दिनों मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण करा रहा है। राजामंडी रेलवे स्टेशन के ठीक सामने मेट्रो ने अपने स्टेशन का निर्माण कराया है। यहां धूल के गुबार उठ रहे हैं। दावों के उलट पूरी साइट पर मिट्टी और रेत के ढेर लगे हैं, जिन पर पानी का छिड़काव नहीं कराया गया है। दिल्ली गेट स्थित नगर निगम शेल्टर होम से लेकर राजामंडी स्टेशन के बीच धूल मिट्टी पड़ी है, जहां किसी भी वाहन के निकलने पर धूल उड़ रही है। यही हाल आरबीएस कॉलेज पर बनाए जा रहे मेट्रो स्टेशन का है।

राजामंडी स्टेशन के दोनों ओर आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्र हैं, जहां लोगों की लगातार आवाजाही रहती है। क्षेत्रीय निवासी और पूर्व पार्षद संजय राय ने बताया कि राजामंडी स्टेशन पर 15 दिनों से उन्होंने पानी का छिड़काव होते नहीं देखा। यहां स्टेशन आने पर पांच मिनट में ही धूल के कारण सांस लेना मुश्किल हो रहा है।

शहर के चौराहों पर प्रदूषण
स्मार्ट सिटी के अनुसार
स्थान एक्यूआई
टेढ़ी बगिया 478
तहसील चौराहा 346
बाग फरजाना 339
शहीद नगर 325
ईदगाह 310
हाथीघाट 309
सदर भट्ठी 315
सीपीसीबी के अनुसार
आवास विकास 220

शाहजहां पार्क 204
रोहता 204
शास्त्रीपुरम 187
मनोहरपुर 169
संजय प्लेस 159

हैरत: दयालबाग से बेहतर संजय प्लेस की हवा
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 6 ऑटोमेटिक स्टेशनों में आंकड़े हैरतअंगेज हैं। संजय प्लेस की हवा दयालबाग से बेहतर दिखाई गई है, जबकि दयालबाग में स्टेशन जहां लगा है, उससे सड़क की दूरी ज्यादा है और वाहनों का संचालन भी कम है। आसपास हरियाली है, वहीं संजय प्लेस में ट्रैफिक जाम, मेट्रो का निर्माण कार्य और हजारों वाहनों का आवागमन होेने के साथ रेस्टोरेंट में कोयला जलाया जा रहा है। सरकारी आंकड़ों में फिर भी संजय प्लेस की हवा बेहतर दिखाई गई है।

याचिकाकर्ता पर्यावरणविद संजय कुलश्रेष्ठ ने क हा कि आंकड़ें कुछ भी कहें, इन्सान का शरीर प्रदूषण बढ़ते ही बता देता है। अफसर जिस प्रदूषण को छिपा रहे हैं, उसका जवाब उन्हें सुप्रीम कोर्ट में देना होगा। जिस तरह बीमारी में जांच महत्वपूर्ण है, उसी तरह प्रदूषण से निपटने में असली एक्यूआई जरूरी है, तभी कदम उठाए जा सकेंगे। टीटीजेड चेयरमैन से मांग की है कि प्रदूषण के सही आंकड़े जनता तक आएं

याचिकाकर्ता पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने बताया कि स्मार्ट सिटी, यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एएसआई के एक ही जगह के आंकड़े भिन्न-भिन्न हैं। अधिकारी सही आंकड़े जनता के सामने पेश करें। ग्रैप लागू करने में आंकड़ों से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। मरीजों की संख्या आगरा की हवा के प्रदूषण को बता रही है, पर अफसर छिपा रहे हैं।

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