जबरन चंदा वसूली और इसके लिए वेतन रोकना मुख्यमंत्री के आदेशों का उल्लंघन
-राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने विरोध जताते हुए लिखा पत्र
लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा है कि राहत कोष में दान के लिए वेतन से जबरन कटौती करना, दान के लिए दबाव बनाते हुए वेतन रोक लेना निंदनीय है, इससे कर्मचारियों में रोष है। शासन को इस पर स्पष्ट निर्देश जारी करने चाहिये जिससे कर्मचारियों का उत्पीड़न न हो। परिषद के महामंत्री अतुल मिश्र ने इस विषय में प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने कहा है कि कुछ जनपदों में कर्मचारियों से दान या चंदे के नाम पर जबरन वसूली जैसी कार्यवाही की जा रही है। पूर्व में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कानपुर द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों का 3 दिन का वेतन काटने का निर्देश दिया गया था और ज्यादातर कर्मचारियों के वेतन से धनराशि की कटौती कर ली गई, साथ ही सिंचाई विभाग में पहले एक दिन व दूसरे माह 2 दिन का वेतन काट लिया गया।
इसी प्रकार हाल ही में उरई जनपद जालौन के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा दिये गए निर्देश के क्रम में कर्मचारियों को 1 दिन के वेतन के बराबर धनराशि नकद रूप से कार्यालयों में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि हद तो तब हो गई जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रायपुरा के अधीक्षक द्वारा यह निर्देशित किया गया कि जिन कर्मचारियों द्वारा धनराशि जमा नहीं कराई जाएगी उनका वेतन रोक दिया जाएगा उसी के क्रम में कर्मचारियों के वेतन का भुगतान अभी तक नहीं किया गया।
उन्होंने कहा है कि इससे स्पष्ट होता है कि जनपदीय अधिकारी मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। परिषद नेताओं का कहना है कि पूर्व में ही कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को फ्रीज किया जा चुका है, जिससे प्रत्येक कर्मचारी अधिकारी का औसतन दो हजार से 8000 तक वेतन कम हो गया जो माह जुलाई और जनवरी 21 में दोगुना और 3 गुना हो जाएगा। कर्मचारियों का नगर प्रतिकर भत्ता भी समाप्त कर दिया गया है। कर्मचारी अपनी जान की परवाह किए बगैर जन सेवा में लगा है और एक दिन के वेतन के अतिरिक्त विभिन्न माध्यमों से दान या चंदा भी दे चुका है। कुछ कर्मचारी व्यक्तिगत स्तर पर गरीब जनता को भोजन आदि सेवाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं, लेकिन कतिपय अधिकारियों द्वारा जबरन वसूली किया जाना बिल्कुल गलत है।
उन्होंने कहा है कि हास्यास्पद बात यह है कि विभागों द्वारा कर्मचारियों के वेतन से कटौती कर विभागीय मंत्री व अधिकारी द्वारा मा मुख्यमंत्री को राशि भेंट की जा रही है और कर्मचारियों का नाम तक नहीं लिया जा रहा है। समाचार पत्रों के माध्यम से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे वे अपने निजी माध्यम से भेंट कर रहे हैं। कर्मचारी सरकार के साथ खड़ा है, अपनी सेवाएं दे रहा है लेकिन उससे जबरन वसूली करने से कर्मचारियों में रोष व्याप्त होता है। उन्होंने बताया कि परिषद ने मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को इस के लिए पुनः पत्र लिखकर स्पष्ट निर्देश देने का अनुरोध भी किया है।