चामुंडेश्वरी देवी मंदिर में गैर हिंदू से पूजा कराने का विरोध जारी

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के उस निर्णय के खिलाफ शुक्रवार को याचिका सुनने पर सहमति जताई जिसमें अंतरराष्ट्रीय बुकर्स पुरस्कार विजेता और प्रतिष्ठित मुस्लिम महिला बानू मुश्ताक को इस वर्ष हिंदुओं के पर्व मैसुरु दशहरा का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया गया है। पीठ ने गुरुवार को कहा कि यह त्योहार 22 सितंबर को शुरू होगा और इस मामले को तुरंत सुनने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के उस निर्णय के खिलाफ शुक्रवार को याचिका सुनने पर सहमति जताई जिसमें अंतरराष्ट्रीय बुकर्स पुरस्कार विजेता और प्रतिष्ठित मुस्लिम महिला बानू मुश्ताक को इस वर्ष हिंदुओं के पर्व ‘मैसुरु दशहरा’ का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया गया है।

चामुंडेश्वरी देवी मंदिर में एक गैर हिंदू से पूजा कराने की अनुमति देने का विरोध
इस पर्व का उद्घाटन करने वाला व्यक्ति हमेशा से हिंदू समुदाय का ही होता है क्योंकि उसे इस पर्व में चामुंडेश्वरी मंदिर में ‘अग्र पूजा’ को संपन्न करना होता है। उत्सव 22 सितंबर से मैसुरु में शुरू होगा और दो अक्टूबर को ‘विजयदशमी’ पर समाप्त होगा।

प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के.विनोद चंद्रन की पीठ ने गुरुवार को कहा कि यह त्योहार 22 सितंबर को शुरू होगा और इस मामले को तुरंत सुनने की आवश्यकता है। एक वकील ने कहा, ”एक गैर-हिंदू को कर्नाटक के मैसुरु मंदिर में अग्रेश्वरी पूजा करने की अनुमति दी गई है। इसलिए तत्काल सुनवाई की मांग की।

मुख्य न्यायाधीश ने पहले कही थी ये बात
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ”ठीक है।” 15 सितंबर को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पूर्व में हिंदू विरोधी विचारों को सार्वजनिक मंच से जाहिर कर चुकी 77 वर्षीय बानू मुश्ताक को ‘मैसुरु दशहरा’ समारोह का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित करने के राज्य सरकार के निर्णय को चुनौती देने वाली चार याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील एचएस गौरव ने की है। इसमें यह कहते हुए हाई कोर्ट की तर्कशक्ति को चुनौती दी गई है कि दशहरा का उद्घाटन समारोह चामुंडी पहाड़ियों के शीर्ष पर स्थित चामुंडेश्वरी मंदिर में होता है। यह केवल प्रतीकात्मक पर्व नहीं है, बल्कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है।

अग्र पूजा के अनुष्ठानों में चामुंडेश्वरी देवी मंदिर के गर्भगृह में दीप जलाना, कुमकुम, हल्दी, फल और फूल चढ़ाना शामिल है। मंदिर में वेद मंत्रों के साथ पूजा होती है। हिंदू पूजा के कार्य अगामिक परंपराओं से शासित हैं और इन्हें गैर-हिंदू नहीं कर सकता। हाई कोर्ट ने यह भी नहीं समझा कि दशहरा उद्घाटन के लिए यह पूजा आवश्यक है।

वडियार राजवंश ने की शुरुआत
वडियार राजवंश ने 1610 में मैसुरु दशहरा पूजा की शुरुआत की थी। यह उत्सव पहले 15वीं शताब्दी में विजयनगर के राजा मनाते थे। विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद वाडियारों ने इस परंपरा को जारी रखा।

मैसुरु जिला प्रशासन ने बानू मुश्ताक को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया
विवाद तब शुरू हुआ जब तीन सितंबर को मैसुरु जिला प्रशासन ने बानू मुश्ताक को औपचारिक रूप से आमंत्रित किया, लेकिन विपक्षी दल भाजपा समेत कुछ संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई। मुश्ताक ने अतीत में ऐसे बयान दिए हैं, जिससे लोग उन्हें ”हिंदू व कन्नड़-विरोधी” मानते हैं।

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