चांद का दीदार होते ही ईद का हो जाएगा ऐलान….

चांद का दीदार होते ही ईद का ऐलान हो जाएगा। ऐसे में कोई ईद की तैयारी में लगा हुआ है। कोई बाजार से कपड़े खरीद रहा है तो कोई बाहर रह रहे लोगों को ईद पर घर बुला रहा है। रोजेदारों से जब बचपन में मिलने वाली ईदी को लेकर चर्चा की गई तो सभी पुरानी यादों में खो गए। हर किसी के चेहरे पर निखार आ गया। कोई सेंवई की मिठास को याद करने लगा तो कोई अब्बा द्वारा मिले तोहफे को याद करके मुस्कुरा उठा।

डॉ. महमूद आलम खान बोल उठे, वर्ष 1975 की ईद उन्हें आज भी नहीं भूलती है। उस वक्त उनका एक दोस्त था, जो पढ़ने में काफी तेज था। वह अक्सर उनकी किताबें पढ़ने के लिए ले जाया करता था। ईद में जब अब्बू ने ईदी दी तो उन्होंने उसी ईदी से उसे नई किताबें दिलवाई थीं।

फारुख अहमद का कहना है कि जब हम छोटे थे तो अब्बा की अंगुली पकड़कर जाते थे। दो दिन पहले से ही अब्बा हमारे लिए नए कपड़े लेकर आते थे। ईदगाह जाते थे, खिलौने खरीदते थे। मिठाइयां खाते थे। जो भी बड़े मिलते थे, उनसे ईदी लेते थे, खूब धमाल मचाते थे।

इरफान मोईन का कहना हैं कि हम गांव के हर घर पर दोस्तों के साथ बेझिझक सेंवई खाते थे। जब रिश्ते में दादी और नानी माथे को चूमा करती थी, बच्चों को बड़े बुजुर्गों से जो ईदी मिलती थी, उसकी खुशी कुछ और ही होती थी।

कसीम सिद्दीकी बोले, जो चीज हमें सबसे ज्यादा याद आती हैं, वह है अब्बू के साथ से मिलने वाली एक आना ईदी। ईदी से हम खिलौने खरीदते थे। मिठाइयां व कपड़े भी लोगों को पसंद थे। हर तरफ खुशी रहती थी।

इनसेट

लंबा कुर्ता खरीदने पर जोर

– बाजार में खरीदारी अपने पूरे माहौल पर है। युवाओं में पैंट शर्ट के साथ ही रंगीन लंबा कुर्ता पसंद है। कपड़े की दुकानों पर इसकी कई वैरायटी आई है। जो लोगों को लुभा रही है। वहीं पर टोपी को लेकर डिमांड अधिक है। महिलाएं गरारा व सरारा पर नजरें जमाए हैं। दुकानदारों का कहना है कि बाजार में इस बार कई अलग-अलग तरह के कपड़ों का बाजार है। जैसे पहले की अपेक्षा इस बार सफेद काटन व चिकन के कुर्ते लोगों के आकर्षण का केंद्र है।

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