ग्रामीण की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में अधिक लोगों को काट रहे हैं कुत्ते

एक शोध में सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में लोगों को कुत्ते अधिक काट रहे हैं। जागरूकता के कारण कुत्ते काटने से पीड़ित करीब 84 फीसदी से अधिक लोग 24 घंटे के अंदर टीकाकरण करा लेते हैं।

कुत्ते काटने के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। एक शोध में सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में लोगों को कुत्ते अधिक काट रहे हैं। जागरूकता के कारण कुत्ते काटने से पीड़ित करीब 84 फीसदी से अधिक लोग 24 घंटे के अंदर टीकाकरण करा लेते हैं।

एक जर्नल में प्रकाशित डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के शोध में 1044 प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इसमें 78.3 फीसदी पुरुष और 21.6 फीसदी महिलाएं शामिल थीं। इस शोध में 69.5 फीसदी प्रतिभागियों की उम्र 20-60 वर्ष थी।

जबकि 0-10 वर्ष वाले 8.4 फीसदी, 11 से लेकर 20 वर्ष वाले 18.8 फीसदी और 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले 3.2 फीसदी थे। यह शोध वर्ष 2024 में अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. इशांत कुमार, डॉ. देवाशीष परमार, डॉ. संजीत, डॉ दीपक ने किया।

कुत्ते के काटने पर यह करें
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के एंटी रेबीज वैक्सीनेशन सेंटर के प्रभारी डॉ. देवाशीष परमार ने बताया कि कुत्ते के काटने पर सबसे पहले घाव वाली जगह को साबुन और नल से चलते हुए पानी से 10-15 मिनट तक धोएं। घाव को धोने के लिए एंटीसेप्टिक का भी इस्तेमाल कर सकते है। 24 घंटे के अंदर किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीकाकरण करवा लें। टीकाकरण होने पर धूम्रपान वाली चीजों को इस्तेमाल न करें और काटने वाले स्थान पर तेल-मिर्च न लगाएं।

कुत्ता काटने के सर्वाधिक मामले
शोध के अनुसार 86.6 फीसदी लोगों को कुत्तों ने, 8.5 फीसदी को बिल्ली ने, 2.2 फीसदी को बंदर और 0.7 फीसदी को अन्य जानवरों ने काटा। इसमें 83.7 फीसदी मामले कुत्ते काटने की श्रेणी तीन में दर्ज किए गए। कुत्ता काटने को लेकर तीन अलग-अलग श्रेणियां है। इसमें सबसे गंभीर श्रेणी तीन है। यानि कुत्ते के काटने पर संबंधित जगह पर खून का रिसाव और जख्म का होना है। जबकि श्रेणी दो में 13.9 फीसदी और श्रेणी एक में 2.4 फीसदी मामले दर्ज हुए।

84.1 फीसदी को अज्ञात जानवर ने काटा
शोध के मुताबिक 84.1 फीसदी को अज्ञात और 16.0 फीसदी को परिचित जानवर ने काटा है। काटने के बाद 84.3 फीसदी ने 24 घंटे के अंदर टीकाकरण करवा लिया। जबकि 15.7 फीसदी ने 24 घंटे के बाद टीकाकरण कराया। देरी से टीकाकरण कराने की अलग-अलग वजह रही। इसमें 15.7 में एंटी रेबीज वैक्सीन के बारे में जागरूकता की कमी, 23.7 फीसदी सुविधा का दूर होना, 2.5 फीसदी मामलों में सुविधा केंद्र पर वैक्सीन का न होना, 23.9 फीसदी ने काम संबंधी कारण, 2.0 फीसदी ने सुविधा का छुट्टी की वजह से बंद होना और 0.3 फीसदी ने सोशल स्टिग्मा, 1.6 फीसदी वित्तीय कारण और 30.5 फीसदी अन्य कारण रहे जिनका उल्लेख नहीं किया गया।

शरीर के निचले हिस्से पर सर्वाधिक हमला
सबसे ज्यादा शरीर के निचले हिस्से यानि कमर से नीचे काटने के 69.2% मामले देखे गए। जबकि 13.5 % को हाथ पर, 10.2% को कोहनी से ऊपर, 3.2% को सिर और चेहरे पर, 2.2 को धड़ पर आगे-पीछे काटा।

बिना उकसावे के सबसे अधिक काटने की दर
शोध के अनुसार 89.7% मामलों में बिना उकसावे के और 10.3% मामलों में उकसाने वाले व्यक्ति को काटा। रेबीज की बीमारी से हर साल वैश्विक तौर पर 59 हजार लोगों की मौत होती है। जबकि भारत में 20 हजार मौत दर्ज की जाती है।

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