गोविंदा ने पहली कमाई से मां के लिए खरीदी थी साड़ी, किस बात का है गम

अभिनेता गोविंदा अब सिल्वर स्क्रीन पर कम ही नजर आते हैं. हालांकि उनके करियर के सितारे इस वक्त बुलंदी पर नहीं हैं लेकिन वह लगातार मेहनत करते रहते हैं. जल्द ही वह फिल्म रंगीला राजा में डबल रोल करते नजर आएंगे. आज तक से खास बातचीत में गोविंदा ने अपने करियर के स्ट्रगलिंग पीरियड के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी अपने स्टार्डम को एंजॉय नहीं किया करते थे, ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी मां साधू हो गई थीं.

स्टारडम को कभी नहीं कर पाए एंजॉय-

गोविंदा ने बताया, “जब मैं फिल्म लाइन में आया था तो मुझे तीन चार लोगों के साथ काम करने के लिए कहा गया था, लेकिन कभी नहीं कर पाया.” ये तीन लोग थे यश चोपड़ा, मनमोहन देसाई, राज कपूर साहब. गोविंदा ने कहा, “मैंने कभी स्टारडम एन्जॉय नहीं किया, क्योंकि मेरी मम्मी साधू हो गयी थी. तब मैं क्या एन्जॉय करता.”

पहली सैलरी से खरीदी मां के लिए साड़ी-

उन्होंने कहा कि उनके कंधों पर अहम् जिम्मेदारियां थी. वह कभी ड्रिंक नहीं किया करते थे और जब पहली बार उन्हें पैसे मिले तो उन्होंने उससे मां के लिए साड़ी खरीदी थी. इसके बाद उन्हें 3-4 दिन तक नींद नहीं आई. उन्होंने कहा कि उनकी मां का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहा है. उनकी जिंदगी में मां और पत्नी का अहम योगदान रहा है.

वो सपना जो आज भी अधूरा है-

गोविंदा ने बिना पूरी बात खोले कहा कि वह प्रोफेशनली जो करना चाहते थे वो अभी तक उन्हें नहीं मिला है. उन्होंने कहा, “मेरा वो सपना अभी पूरा नहीं हुआ है.” अपने स्ट्रगलिंग पीरियड की कहानी सुनाते हुए गोविंदा बोले- मुझे उस जमाने में कई दफ्तरों से निकाला गया, उन्हें मैं स्ट्रगलर लगता था, मेरी लड़ाइयां भी हो जाया करती थी.

कभी किसी को नहीं डांटा-

गोविंदा ने बताया कि उनसे खाने वाला, डांस मास्टर, फाइट मास्टर और जूते वाले तक ने कभी पैसे नहीं लिए. उन्होंने कहा कि मैंने आज तक किसी भी स्पॉटबॉय को नहीं डांटा. गोविंदा ने हॉलीवुड के बारे में भी बातें की. उन्होंने कहा-  हॉलीवुड के लोग मुझे पसंद आते हैं, जिस अंदाज में काम करते हैं, अच्छा लगता है.

50-60 रोटियां आराम से खा जाता था-

गोविंदा ने उन दिनों की यादें ताजा करते हुए कहा कि एक बार मेरी मम्मी के बारे में कुछ किसी ने कह दिया, मेरी 22 -23 लोगों से विरार रेलवे स्टेशन पर लड़ाई हो गई. उन लोगों ने मेरी बहुत धुलाई की, लेकिन मुझे छोट नहीं लगती थी, 50 -60 रोटियां तो मैं यूँ ही खा लिया करता था. जब भी मैं अपनी आत्मकथा लिखूंगा तो उसमें मेरी माँ से शुरुआत होगी, और जो भी उसे पढ़ लेगा, वो अपनी माँ के साथ गलत व्यवहार नहीं करेगा.

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