गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें और क्या नहीं?

गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं, यह पर्व दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। यह भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा-पाठ करने से जीवन में शुभता का आगमन होता है। आइए इस आर्टिकल में इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
गोवर्धन पूजा का पर्व हर साल धूमधाम और भव्यता के साथ मनाया जाता है। यह दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है, जिसे अन्नकूट पूजा भी कहते हैं। यह शुभ दिन भगवान श्रीकृष्ण द्वारा ब्रजवासियों को देवराज इंद्र के प्रकोप से बचाने और गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाने की महान लीला का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन लोग पूजा-अर्चना के साथ विभिन्न अनुष्ठानों का पालन करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी, तो आइए इस आर्टिकल में इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
गोवर्धन पूजा मुहूर्त
गोवर्धन पूजा मुहूर्त – सुबह 06 बजकर 26 मिनट सुबह 08 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
गोवर्धन पूजा के दिन क्या करें?
घर के आंगन या मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं।
इसके मध्य में भगवान कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
इस दिन 56 भोग या अन्नकूट तैयार करें और भगवान श्रीकृष्ण तथा गोवर्धन महाराज को अर्पित करें।
इसमें कढ़ी-चावल, बाजरा, और माखन-मिश्री जरूर शामिल करें।
इस दिन गाय की पूजा का विशेष महत्व है।
ऐसे में उन्हें स्नान कराकर, तिलक लगाएं और फूल- माला पहनाएं।
साथ ही हरा चारा खिलाएं।
इस दिन सात्विक भोजन ही करें।
गोवर्धन पर्वत की बनाई गई आकृति की सात बार परिक्रमा करें।
परिक्रमा करते समय वैदिक मंत्रों का जाप करें।
अगर हो पाए तो गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करें।
इस दिन भगवान कृष्ण के मंदिर में दर्शन के लिए जरूर जाएं।
शुभ कार्यों में लाल, पीला, नारंगी जैसे रंग के कपड़े पहनना चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन क्या नहीं करें?
गोवर्धन पूजा के दिन और इससे पहले आने वाली अमावस्या को तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए।
पूजा के समय काले या नीले रंग के वस्त्र पहनने से बचें।
इस दिन घर का मुख्य द्वार या खिड़की लंबे समय तक बंद नहीं रखनी चाहिए।
गोवर्धन पूजा के दिन घर में मांस, मदिरा या अन्य तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए।
इस दिन किसी भी पेड़-पौधे को नहीं काटना चाहिए, क्योंकि यह पर्व प्रकृति के प्रति आभार जाहिर करने का ही है।