अपने गानों से नब्बे के दशक को अपना मुरीद बनाने वाले कुमार सानू इंडस्ट्री में अपने 30 साल पूरे कर चुके हैं। अपने करियर में उन्होंने ‘ये काली काली आंखें’ (बाजीगर, 1993), ‘तुझे देखा तो’ (दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे, 1995), ‘आंख मारे’ (तेरा मेरा सपना, 1996) जैसे हिट गाने दिए हैं। अपने सफर और सफलताओं को लेकर कुमार सानू पूर्णतया संतुष्ट हैं। संगीत की दुनिया में हो रहे बदलावों को वह खुले दिल से अपनाने में विश्वास रखते हैं। कुमार सानू आज के संगीत की दुनिया को कला और कलाकारों के लिए सर्वश्रेष्ठ समय मानते हैं।
30 साल का शानदार सफरनामा
कुमार सानू ने कहा, ‘विभिन्न उतार चढ़ावों के साथ मेरा सफर शानदार रहा है। मेरा हमेशा विश्वास, कर्म और संगीत में बना रहा। इसने मुझे कभी अपनी जड़ों का नहीं भूलने दिया। मेरा संगीत का यह सफर ऐसा रहा है जिससे मैं और अधिक की उम्मीद नहीं कर सकता हूं। एक कलाकार के रूप में यह बहुत संतोषजनक है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मुझे अब भी दुनिया भर में अपने प्रशंसकों से प्यार मिल रहा है।’
कभी निराश ना हों
कुमार सानू कहते हैं कि, ‘हिंदी सिनेमा जगत में आकर मैंने यह सीखा कि चाहे आप कितने भी सफल क्यों ना हो जाएं लेकिन हमेशा साधारण बने रहें। सफलता मिलने के बाद अपने बारे में हद से अधिक सोचना आम बात है लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि सफलता के एक स्तर पर पहुंचने के बाद वहां से सिर्फ नीचे ही आने का रास्ता होता है। मैं सिर्फ इतना जानता हूं कि किसी को कभी निराश नहीं होना चाहिए। आपका समय एक दिन आएगा।’
सफलता से पूर्णतया संतुष्ट
कुमार सानू ऐसे गीतकार रहे हैं जिन्होंने एक ही दिन में 28 गाने रिकॉर्ड किए हैं जो कि एक वर्ल्ड रिकार्ड है। ऐसी सफलताओं को लेकर उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने करियर में जो भी हासिल किया है उससे मैं काफी खुश हूं। ऊपर वाले से मैंने जितना मांगा है मुझे उससे अधिक ही मिला है। अब मेरी बारी है कि मैं समाज को वापस लौटाऊं। इस वजह से ही मैं फ्री स्कूल चलाता हूं और मेरी सफलता में अहम हिस्सा रहे जरूरतमंद लोगों की मदद करने की भरसक कोशिश करता हूं। मुझे लगता है, खुश रहना सफलता की कुंजी है। जब भी मैं अपने प्रशंसकों से मिलता हूं मैं बहुत ही खुश रहता हूं। मैं अपने व्यक्तिगत दुःख को अपनी कला पर हावी नहीं होने देता हूं। यह एक पुरस्कार की तरह महसूस होता है जब मैं उनकी आंखों में अपने लिए प्यार को देखता हूं।’
गुलशन कुमार और पंचम दा की मृत्यु का गम
कुमार सानू के अनुसार, ‘प्रोफेशनल लाइफ में मेरा सबसे बड़ा अफसोस गुलशन कुमार जी और पंचम दा का निधन है। मैं उनके साथ अधिक काम करना चाहता था लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जब मैं उनके गीतों को सुनता हूं तो मैं उन्हें बहुत याद करता हूं और मुझे लगता है कि उनके जाने से इस इंडस्ट्री में एक अधूरापन हमेशा रहेगा। काश वे यहां होते।’
गानों में आपत्तिजनक शब्दों के खिलाफ
म्यूजिक इंडस्ट्री के बदलाव के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं, ‘बदलाव तो जरुरत है। हम समय के अनुसार बंध कर नहीं रह सकते हैं। आज भी हम रैप के साथ मधुर गीत सुनते हैं। हमेशा नई चीजों को स्वीकार करना अच्छा होता है। गानों में सिर्फ अश्लील और आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल मुझे पसंद नहीं है। इससे हमारी युवा पीढ़ी जो अच्छा नहीं है।’
संगीत जगत का स्वर्णिमय युग
कुमार सानू ने आगे बताया, ‘इंडस्ट्री में कई काबिल कलाकार मौजूद हैं और आज के समय में पहले के मुकाबले अधिक मौके हैं। आज हर किसी को खुद को साबित करने के लिए कम से कम एक मौका तो जरूर मिलता है। यह काफी अच्छा है। नए जमाने का संगीत अद्भुत है जिसमें विभिन्न प्रकार के सराहनीय गायकों का योगदान है। आज यह संगीत जगत और कलाकारों के लिए सर्वश्रेष्ठ समय है।’