गांव-गांव में अनशन, जल सत्याग्रह और धरने, लोग हटने को तैयार नहीं

बड़वानी/ इंदौर. गुजरात में सूरत से आए करीब 200 मजदूर एक पहाड़ी ढलान की कीचड़ में टीन शेड के घर बनाने में पसीना बहा रहे हैं। आसमान से घटा कभी भी बरस सकती है। ये मजदूर झाबुआ के हैं, जो प्रदेश से काम की तलाश में पलायन करके सूरत की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में लगे। कंपनी को काम बड़वानी में सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के पुनर्वास स्थल बनाने का मिला। यहीं के मजदूर सूरत से यहां लाए गए। डेढ़ करोड़ की लागत से यह टीन शेड खड़े हो रहे हैं। 7 जुलाई को काम मिला।
गांव-गांव में अनशन, जल सत्याग्रह और धरने, लोग हटने को तैयार नहीं
 
30 जुलाई डेडलाइन थी ताकि कागजी प्लान के मुताबिक 31 जुलाई से लोग यहां रहने आ सकें। मगर यह सिर्फ दिखावा है। मेन रोड से यह जगह तीन किलाेमीटर दूर है और मामूली बारिश के बाद कीचड़ से भरे कच्चे रास्ते पर आना-जाना ही संभव नहीं है। रास्ते की पुलिया भी डूब में है। जो प्लॉट विस्थापितों को दिए गए थे वे पिछली बारिश में ही डूबे देखे गए। इन घरों में रोशनी लाने के लिए बिजली के खाली खंभे खड़े हैं।

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कुल 260 परिवारों को बसाने के लिए यह मशक्कत हो रही है, जो यहां से छह किलोमीटर दूर धार जिले के चिखल्दा गांव के हैं। मगर 31 जुलाई की डेडलाइन के बावजूद चिखल्दा समेत आसपास के सारे गांवों में कोई हिलने को तैयार नहीं है। गांव-गांव में क्रमिक अनशन, जल सत्याग्रह और धरने चल रहे हैं।

 
बड़ा सवाल:आज छोड़ने हैं गांव, ऐसे पुनर्वास स्थलों पर कैसे रहेंगे लोग
 
– नानकबेड़ी सरदार सरोवर बांध के उन 88 पुनर्वास स्थलों में से एक है, जहां विस्थापितों को बसाया जाना है।
– सरदार सरोवर बांध में अभी पानी 122 मीटर पर है। इस पर 17 मीटर ऊंचे गेट लगे हैं।
– इस ऊंचाई पर पानी भरते ही ये इलाके जलसमाधि लेना शुरू करेंगे। चूंकि अभी बारिश का जोर नहीं है इसलिए नर्मदा भी उफान पर नहीं है।
– सरकार के रवैए से नाराज लोगों की मांग है कि पानी का स्तर तब तक 122 मीटर पर ही रहे, जब तक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक डूब में आने वाले हरेक परिवार का सही पुनर्वास न हो जाए। यहां किसी को कोई हड़बड़ी नहीं है।
  
7 जुलाई से शुरू हुआ था केंद्रों का काम
– ये फोटो नानकबेड़ी के पुनर्वास स्थल का है।
– यहां विस्थापितों के लिए टिन शेड के घर और शौचालय तैयार किए जा रहे हैं। 7 जुलाई से शुरू हुआ काम रविवार तक पूरा करने की डेडलाइन थी। लेकिन अभी शौचालय की सीटें भी पूरी तरह नहीं लग पाई हैं।

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