गहलोत जी की हाथ की सफाई में कहीं कांग्रेस ही साफ न हो जाए- भाजपा प्रदेशाध्यक्ष का तीखा तंज

जयपुर: भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौर ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखा व्यंग्य करते हुए कहा कि गहलोत जी हाथ की सफाई के इतने माहिर हैं कि कहीं कांग्रेस ही साफ न हो जाए।

राजस्थान की राजनीति में इन दिनों कटाक्षों का दौर चल रहा है। कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भाजपा मुख्यालय से कांग्रेस को खुली चुनौती दी थी, जिसे नेता प्रतिपक्ष ने स्वीकार करते हुए समय और जगह बताने के लिए कहा है। इधर मंगलवार को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौर ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर तीखा व्यंग्य किया है। मदन राठौर का यह बयान उस वक्त आया, जब अशोक गहलोत अपने परिवार के साथ जयपुर में एक जादूगर के शो को देखने पहुंचे और उसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी साझा किया, जिसमें उन्होंने जादू और कला के महत्व पर बात की।

राठौर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अशोक गहलोत खुद को जादूगर कहते हैं और बाबू लक्ष्मण जी भी एक जाने-माने जादूगर थे लेकिन गहलोत जी की हाथ की सफाई तो प्रदेश की जनता पिछले कई वर्षों से देख रही है। अब डर इस बात का है कि नई तकनीक और ट्रिक्स सीखने के चक्कर में कहीं पूरी कांग्रेस पार्टी ही साफ न हो जाए। उन्होंने व्यंग्य करते हुए यह भी कहा कि गहलोत सरकार के कार्यकाल में जो भी विकास के वादे किए गए, वे भी गायब हो गए हैं, शायद यही असली जादू था। राठौर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस की गायब होती विश्वसनीयता और जमीन से कटता जनाधार आज सबसे बड़ा राजनीतिक करतब बन गया है।

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कांग्रेस नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब-जब जनता को जवाब चाहिए होता है, तब-तब कांग्रेस के नेता मायाजाल खड़ा कर असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि जनता अब इस राजनीतिक जादू को समझ चुकी है और 2023 के चुनावों ने इसका संकेत भी दे दिया है।

दरअसल अशोक गहलोत ने जयपुर में एक मैजिक शो में परिवार के साथ शिरकत की थी। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि जादूगरी केवल मनोरंजन नहीं, एक प्राचीन और आकर्षक कला है जो पीढ़ियों से लोगों को आश्चर्यचकित करती आ रही है। आज जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम में प्रसिद्ध जादूगर ओपी शर्मा का शो देखा। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी मंत्रमुग्ध नजर आए। उन्होंने लिखा कि इस कला को प्रोत्साहन और संरक्षण मिलना चाहिए ताकि कलाकारों का आत्मविश्वास बढ़े और नई पीढ़ी भी इससे जुड़ सके। कला तभी जीवित रहती है, जब समाज उसका सम्मान करे। जादू जैसी स्वस्थ पारिवारिक मनोरंजन कला को देखने जाकर इसे बढ़ावा दें।

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