गंगा किनारे आर्सेनिक से जंग, समस्तीपुर के 4 प्रखंडों में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से बीमारियों में आई कमी

गंगा किनारे बसे समस्तीपुर जिले के चार प्रखंडों मोहनपुर, मोहिउद्दीन नगर, पटोरी और विद्यापति नगर के लिए अब शुद्ध पानी किसी वरदान से कम नहीं है। वर्षों से आर्सेनिक युक्त जहरीले पानी की मार झेल रहे इन इलाकों के लोगों को अब वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। इसका नतीजा यह हुआ है कि इन क्षेत्रों में पानी से जुड़ी बीमारियों में अब साफ गिरावट दर्ज की जा रही है।

गौरतलब है कि गंगा के किनारे बसे इन गांवों के चापाकलों में पानी में अत्यधिक मात्रा में आर्सेनिक पाया गया था, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन रहा था। पीएचईडी विभाग ने इन पंचायतों में नल-जल योजना के अंतर्गत वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना कर घर-घर शुद्ध जल पहुंचाना शुरू किया, जिससे अब लोगों को राहत मिलने लगी है।

‘पहले था डर, अब मिली राहत’
मोहिउद्दीन नगर के निवासी संजीव जायसवाल बताते हैं कि उनका गांव गंगा से सटा हुआ है और यहां के चापाकलों पर लाल निशान लगे हुए हैं, जो यह दर्शाते हैं कि पानी पीने लायक नहीं है। पहले यहां के लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीते थे, जिससे कई तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते थे। कैंसर के भी कई मामले सामने आए। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। शुद्ध पानी घर तक पहुंच रहा है और बीमारियों में कमी देखी जा रही है।

वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट कैसे करता है काम?
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि इन वॉटर ट्रीटमेंट प्लांटों में मोटर के जरिए पानी को खींचकर पहले फिल्टर किया जाता है, जहां आर्सेनिक, आयरन और अन्य हानिकारक तत्वों को अलग किया जाता है। इसके बाद ट्रीटेड पानी टंकी में जाता है और वहां से नल के माध्यम से लोगों के घरों तक पहुंचता है।

इसके तहत मोहिउद्दीन नगर प्रखंड के 17 पंचायतों के 218 वार्डों में 150 स्थानों पर, मोहनपुर प्रखंड के 11 पंचायतों के 148 वार्डों में 92 स्थानों पर, पटोरी प्रखंड के 17 पंचायतों के 281 वार्डों में 119 स्थानों पर और विद्यापति नगर प्रखंड के 14 पंचायतों के 196 वार्डों में 104 स्थानों पर शुद्ध जल पहुंचाया जा रहा है। इस प्रकार कुल 793 वार्डों में 465 स्थानों पर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से शुद्ध पानी की आपूर्ति हो रही है।

बीमारी में आई गिरावट, लोगों ने जताया संतोष
पीएचईडी विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कुमार अभिषेक के अनुसार, इन चारों प्रखंडों में आर्सेनिक की अधिक मात्रा की पुष्टि के बाद राज्य सरकार ने तुरंत कार्रवाई कर वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का आदेश दिया था। अब इन इलाकों में रोगों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि सरकार की इस पहल ने उनकी जिंदगी बचाई है। पहले जहां पीने का पानी भी जानलेवा था, वहीं अब घरों में शुद्ध जल की उपलब्धता ने उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित जीवन की उम्मीद दी है।

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