क्या आपको पता है, समुद्र मंथन से निकला कलश कहां है?

आज की जनरेशन को पौराणिक कथाओं की जानकारी टीवी के जरिए मिली। गूगल बाबा के चेलों की एक बड़ी संख्या इंटरनेट पर उस अमृत को तलाश कर रही है, जिसे देवताओं और दानवों ने वासुकि नाग को मन्दराचल पर्वत के चारों ओर लपेटकर मंथन करके निकाला था। पिछले दिनों कुछ वैज्ञानिकों ने बताया था कि मंथन के लिए जिस पर्वत का इस्तेमाल किया गया था, वह गुजरात में मिला है। लेकिन अभी भी लोगों की जिज्ञासा कहां खत्म होने वाली थी, अब पता करने की होड़ लग गई कि मंथन के बाद जो अमृत मिला था, वह कहां है। क्या आपको पता है, समुद्र मंथन से निकला कलश कहां है?
इंटरनेट के समुद्र में हम भी कूद पड़े और आपके लिए अमृत के बराबर की जानकारी ढूंढ कर लाए। जानकारी मिली है कि इंडोनेशिया में एक ऐसा मंदिर है जहां दावा किया जा रहा है कि यहां अमृत कलश रखा है। कुछ एक्सपर्ट ने दावा किया है कि कंडी सुकुह नाम के मंदिर में एक द्रव्य मिला है, जोकि हजारों सालों पुराना है। ऐसा कहा जाता है कि हजारों सालों से यह द्रव्य सूखा नहीं है। जो कलश इस मंदिर से मिला है उसके अंदर एक शिवलिंग भी मिला है। 
जिस मंदिर में यह कलश पाया गया है वहां की दीवार पर महाभारत का आदिपर्व भी अंकित है। साल 2016 की शुरुआत में पुरातत्व विभाग ने यहां मरम्मत का काम शुरू किया था। इस दौरान दीवार की नींव से विशेषज्ञों को कुछ मिला, जिसके बाद मंदिर को लेकर लोगों की राय बदल गई। 

विशेषज्ञों की टीम को मंदिर के भीतर तांबे का एक कलश मिला, इसके अंदर एक पारदर्शी शिवलिंग रखा हुआ है। शिवलिंग के अंदर खास तरह का द्रव्य भरा हुआ है। शोधकर्ताओं के मुताबिक बर्तन से इसको बड़ी खूबसूरती से जोड़ा गया है ताकि यह खुल न सके। सबसे खास बात यह है कि जिस दीवार में यह घिरा हुआ है, उस पर अमृत मंथन की नक्काशी भी की गई है। 

पुरातत्व विभाग के अनुसार इल कलश की कार्बन डेटिंग 12वीं सदी की है, इस काल में मलेशिया हिंदू राष्ट्र हुआ करता था लेकिन 15वीं सदी में जब खतरा हुआ तो इसे मंदिर के अंदर छिपा दिया गया। 

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