कोरोना कहर के बीच आई ये बुरी खबर, इस वजह से 5.2 साल घट गई भारतीयों की जिंदगी…
भारत में लोगों के जीने के साल कम होते जा रहे हैं. इसकी वजह है प्रदूषण. यह खुलासा किया है अमेरिका की एक बड़ी यूनिवर्सिटी ने. यूनिवर्सिटी ने बताया है कि वायु प्रदूषण की वजह से भारत के लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी यानी जीवन प्रत्याशा 5.2 साल घट गई है. जीवन प्रत्याशा को आसान भाषा में हम कह सकते हैं कि इंसान औसत कितने साल जिएगा.
शिकागो यूनिवर्सिटी के द एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने यह अध्ययन किया है. इसमें बताया गया है कि ज्यादा वायु प्रदूषण की वजह भारत के लोगों की जीवन प्रत्याशा बहुत तेजी से कम हो रही है. बांग्लादेश के बाद भारत दुनिया में दूसरा देश है जहां पर लोगों की उम्र घट रही है.
इस स्टडी में बताया गया है कि WHO के प्रदूषण को लेकर बनाई गई गाइडलाइंस के मुताबिक भारत की पूरी आबादी यानी 140 करोड़ लोग प्रदूषण में रह रहे हैं. जबकि, 84 फीसदी लोग भारत के खुद के प्रदूषण की गाइडलाइंस के अनुसार प्रदूषण में जीवन जी रहे हैं.
वायु प्रदूषण की वजह से भारत के लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 5.2 साल घट गई है. जो WHO की गाइडलाइंस में बताई गई 2.3 साल की गाइडलाइंस से दोगुनी है.
इस स्टडी में शहरवार ब्यौरा दिया गया है. देश की राजधानी दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर हो गया है. लखनऊ में लोगों की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 10.3 साल घट गई है. जबकि, दिल्लीवासियों की 9.4 साल घट गई है. जबकि, WHO के गाइडलाइंस के मुताबिक लाइफ एक्सपेक्टेंसी 6.5 साल होनी चाहिए थी.
उत्तर भारत की हालत प्रदूषण की वजह से ज्यादा खराब है. यहां लाइफ एक्सपेक्टेंसी घटकर 8 साल हो गई है. क्योंकि इस इलाके में पार्टिकुलेट प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ा है. पिछले 20 साल में पार्टिकुलेट प्रदूषण 42 फीसदी बढ़ा है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत सरकार नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत प्रदूषण कम करने का प्रयास कर रही है. इस प्रोग्राम का मकसद है कि 2024 तक पार्टिकुलेट प्रदूषण को 20 से 30 फीसदी घटा दिया जाए.
शिकागो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर भारत अगले कुछ सालों में प्रदूषण का स्तर 25 फीसदी घटा लेता है तो यहां का राष्ट्रीय लाइफ एक्सपेक्टेंसी 1.6 साल बढ़ जाएगा. जबकि, दिल्ली के लोगों के लिए यह 3.1 साल बढ़ जाएगा.