90 के दशक के कॉमेडी किं आज पाई-पाई के लिए हो रहे हैं मोहताज

टीवी कॉमेडी शो ‘देख भाई देख’ के राइटर और एक्टर लिलिपुट लंबे समय से लाइमलाइट से दूर हैं। 90 के दशक के फेमस कॉमेडियन आज पाई-पाई को तरस रहे हैं। कर्ज में डूबे लिलिपुट आज अपनी बड़ी बेटी के घर पर रहने को मजबूर हैं।‌ लिलिपुट को लंबे समय से कोई काम नहीं मिला है। लिलिपुट का असली नाम एमएम फारुखी है। 
 90 के दशक के कॉमेडी किं आज पाई-पाई के लिए हो रहे हैं मोहताज हाल ही में मुंबई मिरर को द‌िए इंटरव्यू में लिलिपुट ने खुद ये बात कबूली है। उनका कहना है कि पिछले 5 साल से उनको कोई काम नहीं मिला है। लिलिपुट की मानें तो, ‘मैं पिछले एक साल से दो स्क्रिप्ट्स लेकर प्रोड्यूसर्स के ऑफिस के चक्कर काट रहा हूं। लेकिन कुछ कहते हैं कि देखेंगे-सोचेंगे। जबकि कुछ ताना मारते हैं कि बौने उठकर चले आते हैं डायरेक्टर बनने।’90 के दशक के कॉमेडी किं आज पाई-पाई के लिए हो रहे हैं मोहताज लिलिपुट ने 1998 में टीवी सिरीज ‘वो’ में कॉमेडी रोल किया था। उन दिनों को याद करते हुए लिलिपुट ने कहा, ‘स्टीफेन किंग की हॉरर नॉवेल पर बेस्ड इस सीरीज में जब मैंने काम किया तो एक टॉप स्टार ने मुझसे कहा था- अच्छा आप सीरियस रोल भी करते हैं। मैं तो सोचता था कि बौने सिर्फ कॉमेडी के लिए बने होते हैं।’90 के दशक के कॉमेडी किं आज पाई-पाई के लिए हो रहे हैं मोहताज

लिलिपुट ने बताया, ‘दिसंबर 1975 में जब मैं मुंबई आया तो मैं पहला बौना एक्टर था और मैंने तय कर लिया था कि खुद को ब्रांड बनाऊंगा। मैंने सोचा कि बॉलीवुड जैसी इतनी बड़ी फिल्म इंडस्ट्री में मेरे जैसे बौने को खूब मजेदार रोल मिलेंगे। इसलिए अपना नाम लिलिपुट रखा और ऑडिशन देने शुरू कर दिए। लिलिपुट की मेहनत रंग लाई और उन्हें काम मिलना शुरू हुआ।’
 

धीरे-धीरे लिलिपुट की पॉपुलैरिटी बढ़ती जा रही थी। इसके बावजूद एक असिस्टेंट डायरेक्टर ने चेतावनी देते हुए कहा था कि फिल्म इंडस्ट्री में वे कभी अपने कद से परे नहीं जा पाएंगे। इसे लेकर आज लिलिपुट कहते हैं, ‘बाद में मुझे लगा कि वह सही था।’ लिलिपुट फिलहाल अपने डायरेक्टर दोस्त विक्रम राजदान की शॉर्ट फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं।
 
90 के दशक के कॉमेडी किं आज पाई-पाई के लिए हो रहे हैं मोहताज

उन्होंने कहा, ‘आज कल जो भी छोटे-मोटे रोल मिलते हैं उसे स्वीकार कर लेता हूं।’ लिलिपुट ने टीवी शो के अलावा ‘तोता मैना की कहानी’ ‘बंटी और बबली’ और ‘कभी तुम कभी हम’ जैसी फिल्मों में भी काम किया। काम ना मिलने पर लिलिपुट ने लेखन में हाथ आजमाया। 1992 की फिल्म ‘चमत्कार’ के डायलॉग्स और 1993-94 के सीरियल ‘देख भाई देख’ की कहानी लिखी।
 

लिलिपुट कहते हैं, ‘सुभाष घई आज भी मुझे दूसरे दोस्तों को रिकमेंड करते हैं। जिस तरह उन्होंने मुझे देखा, कोई दूसरा डायरेक्टर नहीं देख सका। एक बार एक प्रोड्यूसर ने पेमेंट के लिए 6 महीने इंतजार कराया था। इसके बाद उसने मुझसे 2 लाख रुपए के बदले 50 हजार रुपए लेकर मामला सेटल करने को कहा।’ 
 

लिलिपुट ने अपने दोस्तों से उधार ले रखा लेकिन उसे वो चुका नहीं पा रहे हैं। लिलिपुट कहते हैं, ‘मैंने देखा है कि हॉलीवुड में बौनों को अच्छे रोल मिल रहे हैं। लेकिन भारत अभी भी नहीं समझ सकता कि बौने प्यार कर सकते हैं, लड़ सकते हैं, ट्रेवल कर सकते हैं और माइंडगेम भी खेल सकते हैं। यहां बौने को उसकी हाइट की वजह से छोटा समझा जाता है। हर दिन मैं खुद को एक कलाकार के रूप में बर्बाद होते पाता हूं और इस बात का मुझे बहुत अफसोस है।’
 
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