कैसे पतंजलि का ऑर्गेनिक आंदोलन गढ़ रहा है भारतीय खेती का भविष्य

पतंजलि आयुर्वेद जो प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है भारत में ऑर्गेनिक खेती को लेकर चल रहे आंदोलन बनाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। पतंजलि ने कुछ कदम उठाये हैं जिनमें किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाना और किसानों को सहयोग देने के लिए योजनाएँ लागू करना आदि शामिल है।
ऑर्गेनिक खेती आज के समय में पर्यावरण की रक्षा करने का एक असरदार तरीका बनकर सामने आई है। यही नहीं, यह खेती दुनिया के सामने खड़े आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी कई संकटों को हल करने में भी मदद कर रही है। भारत की बात करें तो लोग अब इस बात पर ध्यान देने लगे हैं कि उनका खाना कहाँ और कैसे उगाया जा रहा है। इसी वजह से ऑर्गेनिक फ़ूड की माँग दिन प्रतिदिन बढ़ रही है, और यह तभी संभव हो पाया है जब देश में ऑर्गेनिक खेती को फिर से अपनाया गया।
धीरे-धीरे लोग सस्टेनेबल (टिकाऊ) जीवनशैली की ओर बढ़ रहे हैं। यह भले ही व्यक्तिगत चुनाव हो, लेकिन प्रभाव डालने वाले कारक बहुत अहम होते हैं। पतंजलि आयुर्वेद, जो प्राकृतिक और समग्र दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है, भारत में इस बदलाव को एक आंदोलन बनाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। आइए पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा रिसर्चगेट पर प्रकाशित एक शोध से ली गई जानकारी से समझते हैं कि कैसे पतंजलि का ऑर्गेनिक आंदोलन भारतीय खेती का भविष्य बदल रहा है।
आधुनिक खेती और परंपरागत ज्ञान की साझेदारी
भारतीय खेती शुरू से ही ऑर्गेनिक तरीकों पर आधारित थी। हमारे पूर्वज खेती में खाद, गोबर और प्राकृतिक उर्वरकों का ही उपयोग करते थे। लेकिन समय के साथ बढ़ती मांग और लागत घटाने के लिए किसानों ने कीटनाशक और रासायनिक खादों का इस्तेमाल शुरू कर दिया। इससे पैदावार तो बढ़ी, लेकिन मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो गई, पानी प्रदूषित हुआ और जैव विविधता भी घट गई। रिसर्च में पाया गया कि इसी परंपरागत ज्ञान को आधुनिक खेती के साथ जोड़ने के लिए पतंजलि ने कुछ कदम उठाये जैसे:
-किसानों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और जागरूकता अभियान चलाना।
-किसानों को सहयोग देने के लिए योजनाएँ लागू करना।
-किसानों को दोबारा प्राकृतिक खेती की ओर लौटने के लिए प्रोत्साहित करना।
किसानों को संसाधन और शिक्षा उपलब्ध कराना
ऑर्गेनिक खेती अपनाने में सबसे बड़ी रुकावट है जानकारी और जागरूकता की कमी। कई किसानों को लगता है कि ऑर्गेनिक खेती महंगी है और इससे उनका मुनाफा घटेगा। रिसर्चगेट पर प्रकाशित रिसर्च के अनुसार पतंजलि किसानों को प्राकृतिक खेती की सही जानकारी देता है और उन्हें यह बदलाव अपनाने में मदद करता है।
-किसानों को अलग-अलग तरह की खेती के फायदे और नुकसान के बारे में पूरी जानकारी दी जाती है।
-किसानों को प्राकृतिक खाद, बीज और बायो-पेस्टीसाइड जैसे ज़रूरी साधन उपलब्ध कराए जाते हैं।
-पूरे देश में नियमित प्रशिक्षण और कार्यशालाएँ आयोजित की जाती हैं।
-किसानों को मिट्टी की सेहत, फसल चक्र(crop rotation), जल संरक्षण और पेस्ट कंट्रोल जैसे विषयों पर शिक्षित किया जाता है।
-किसानों को उनकी उपज के उचित दाम दिलवाए जाते हैं ताकि वे इस पद्धति को जारी रखें।
साथ ही, ऑर्गेनिक खेती के बढ़ते कार्यक्रमों ने गाँवों में रोज़गार भी बढ़ाया है। इस वजह से ग्रामीण लोगों का शहरों की ओर पलायन कम होने की संभावना है।
पर्यावरण के लिए फायदे
पतंजलि के ऑर्गेनिक आंदोलन का सबसे बड़ा लाभ है इसका पर्यावरण पर सकारात्मक असर। रासायनिक खाद और कीटनाशकों का इस्तेमाल घटने से न केवल हमारी सेहत सुधरती है बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित होता है।
-प्राकृतिक खेती मिट्टी की गुणवत्ता को बचाती है।
-यह पानी प्रदूषण कम करती है और जैव विविधता को संरक्षित करती है।
-मिट्टी की नमी बनाए रखने और उसकी क्षमता बढ़ाने में मदद करती है।
-फसलें सूखे और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अधिक सुरक्षित रहती हैं।
रिसर्च में यह बताया गया है कि पतंजलि का ऑर्गेनिक मिशन भारत के उस दीर्घकालिक लक्ष्य से जुड़ा है जिसमें टिकाऊ खेती प्रणाली तैयार करना शामिल है, जो पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करते हुए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करे।
भारतीय खेती के भविष्य का मॉडल
पतंजलि का ऑर्गेनिक आंदोलन दिखाता है कि टिकाऊ खेती और आर्थिक विकास एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। ऑर्गेनिक खेती अपनाकर हम न केवल पर्यावरण को बचा रहे हैं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक हरा-भरा भविष्य भी सुरक्षित कर रहे हैं। यह आंदोलन सिर्फ एक कॉर्पोरेट पहल नहीं है, बल्कि भारतीय खेती के भविष्य को नए सिरे से गढ़ने की दिशा में एक मजबूत कदम है। हमें मिलकर इसे आगे बढ़ाना होगा ताकि देश के हर कोने तक यह आंदोलन पहुँच सके।