केले की जड़ के इस्तेमाल से दूर रहती है ये खतरनाक बीमारिया, जानिए

केले की जड़ का उपयोग करके कई बीमारियों से बचा जा सकता है। केले की जड़ अपने भरपूर पोषक तत्वों की उपस्थिति के कारण यह हमें विभिन्न प्रकार की समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। हालांकि केले की जड़ों पर कोई गहन अध्ययन नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि केले की जड़ें कई बीमारियों के इलाज के लिए दवा के रूप में उपयोग किया जा सकता है। जिनमें हेमेटुरिया, मूत्र के साथ खून आना, मूत्राशय के संक्रमण आदि समस्याएं शामिल होती हैं। इसके अलावा भी केले की जड़ के अन्य स्वास्थ्य लाभ होते हैं जो इस प्रकार हैं।
बुखार – यदि आप सोच रहे हैं कि केले की जड़ बुखार (Fever) को कैसे ठीक कर सकती है तो यह इसलिए है क्योंकि केले की जड़ में एंटीप्रेट्रिक गुण होते हैं जो शरीर पर शीतलन प्रभाव दे सकता है। केले की जड़ के शीतलन प्रभाव शरीर के उच्च तापमान को कम करने और इससे छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं। एंटीप्रेट्रिक शब्द खुद ही एक चिकित्सकीय शब्द होता है जो रक्त के प्रवाह को तेज करके बुखार से राहत दिलाने में मदद करता है और शरीर की गर्मी को त्वचा छिद्रों (pores) से पसीने के माध्यम से बाहर निकाल देता है। इस प्रकार से आप बुखार से राहत पाने के लिए केले की जड़ का उपयोग कर सकते हैं।
सूजन कम करे – आयुर्वेद उपचार में केले की जड़ का उपयोग पुरानी से पुरानी सूजन को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह बहुत ही विश्वशनीय और पारंपरिक दवा के रूप में जानी जाती है। यदि आपके गले में सूजन है तो आप इसके उपचार के लिए केले की जड़ को अच्छी तरह से साफ करके इसे पीस लें और बने हुए पेस्ट को निचोड़कर (squeezing) इसका रस निकाल लें। आप केले की जड़ से बने इस जूस में थोड़ा सा पानी मिलाएं और इस मिश्रण से गरारे करें। ऐसा आप दिन में 3-4 बार करें जब तक की आपकी सूजन कम न हो जाए।
अल्सर के लिए – आपने ऊपर बताए गए केले की जड़ों के फायदे में देखा होगा कि केले की जड़ों में शीतलन प्रभाव होता है। शीतलन प्रभाव का एक और काम है पेट को आरामदायक बनाता है। केले की जड़ पर डोपामाइन की सामग्री गैस्ट्रिक एसिड को बनने से रोक सकती है जिससे कि अल्सर रोग की शुरुआत को रोकने में मदद मिलती है। इसलिए केले की जड़ का उपयोग आयुर्वेद में पेट की समस्याओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है।