किस मुहूर्त में करें भाई का तिलक?

भाई दूज, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं, यह दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का समापन का प्रतीक है। साथ ही यह भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे और उन्होंने तिलक लगाकर उनका स्वागत किया था। तभी से इस दिन तिलक करने की परंपरा शुरू हुई।
दीपावली के पांच दिवसीय पर्व का समापन भाई दूज के साथ होता है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन देवी यमुना से मिलने उनके घर पहुंचे थे और यमुना जी ने उन्हें तिलक लगाकर उनका स्वागत किया था। तभी से तिलक करने की परंपरा शुरू हुई। यह दिन भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है, तो आइए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
भाई दूज तिलक मुहूर्त
तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इस दौरान बहनें अपने भाई का तिलक कर सकती हैं।
भाई की तिलक दिशा – तिलक करवाते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए।
बहन की दिशा – बहन का मुख पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
नियम
भाई दूज के दिन बहनें सूर्योदय से पहले स्नान करें।
भगवान गणेश और विष्णु जी की पूजा करें।
भाई का तिलक करने से पहले कुछ न खाएं।
भाई के आगमन पर आटे या गोबर से एक चौक बनाएं।
भाई को एक आसन पर बिठाएं और उनका मुख उत्तर दिशा की ओर रखें।
तिलक की थाली में रोली, चंदन, अक्षत, दीपक, मिठाई, पान, श्रीफल और सुपारी रखें।
बहन भाई के माथे पर तिलक लगाएं, हाथ में कलावा बांधें और घी के दीपक से आरती उतारकर उसकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करें।
तिलक की रस्म पूरी होने के बाद भाई को मिठाई और अपने हाथों से बना भोजन कराएं।
फिर अपने भाई को श्रीफल दें।
तिलक के बाद भाई अपनी बहन को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन दें और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें।