कश्मीर के मुद्दे को लेकर नई मुश्किल में घिरा पाकिस्तान, इजरायल के साथ…
कश्मीर के मुद्दे पर बेवजह छटपटाहट में सऊदी अरब से रिश्ता खराब कर चुके पाकिस्तान की विदेश नीति अब संयुक्त अरब अमीरात-इजरायल शांति समझौते से नई मुश्किल में घिर गई है। हाल ही में एक इंटरव्यू में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने इजरायल के साथ संबंध स्थापना की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया है।
इरमान खान ने इंटरव्यू में कहा, ”हमारा रुख पहले दिन से स्पष्ट है और कैद-ए-आजम मुहम्मद अली जिन्ना ने कहा था कि पाकिस्तान इजरायल को तब तक स्वीकार नहीं कर सकता है जब तक फिलिस्तीन के लोगों को उनका अधिकार नहीं मिल जाता है।” इजरायल और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं।
सत्ता में दो साल पूरे करने वाली इमरान खान सरकार के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान के पुराने साथी सऊदी अरब को नाराज कर दिया तो इस बीच यूएई-इजरायल समझौते से पाकिस्तान के लिए चुनौती बढ़ गई है।
भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने की पहली सालगिरह पर कुरैशी ने एक टीवी इंटरव्यू में पाकिस्तान का साथ नहीं दिए जाने को लेकर सऊदी अरब की आलोचना की। कश्मीर मुद्दे पर इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक नहीं बुलाए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए कुरैशी ने कहा था कि वह इमरान खान से कहेंगे कि खुद ही उन इस्लामिक देशों की बैठक बुलाएं जो इस मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ हैं।
कुरैशी के बड़बोलेपन से रियाद इस कदर नाराज हुआ कि पाकिस्तान को समय से पहले 1 अरब डॉलर का कर्ज लौटाना पड़ा। उस पर एक अरब डॉलर और लौटाने का दबाव है। कुरैशी की लगाई आग को बुझाने के लिए पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष जनरल कमर जावेद बाजवा पाकिस्तान दौड़े लेकिन उनके साथ भी खाली रहे। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने बाजवा को मिलने का समय ही नहीं दिया। इसके बाद कुरैशी चीन गए हैं।
इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का तुर्की के साथ अधिक मेलजोल बढ़ाना भी सऊदी के साथ उसके रिश्ते को खराब कर सकता है, क्योंकि तुरकी के राष्ट्रपति खुद को मुस्लिम वर्ल्ड का सबसे बड़ा नेता बनाना चाहते हैं। कुरैशी के इस बयान से पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना भी खुश नहीं है, जो विदेश नीति तय करती है। सेना हर हाल में सऊदी से रिश्ते बेहतर करना चाहती है।
इस बीच यूएई-इजरायल शांति समझौते ने पाकिस्तान के लिए स्थिति को और जटिल बना दिया है। पाकिस्तान परंपरागत रूप से सऊदी अरब और यूएई पर काफी निर्भर रहा है। इरान ने इस समझौते की आलोचना की है, लेकिन पाकिस्तान ने संभलते हुए कहा कि इस घटनाक्रम के दूरगामी प्रभाव होंगे।