कब और क्यों मनाई जाती है तुला संक्रांति?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किया गया दान दोगुना फलदायी होता है। इससे न केवल व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है, बल्कि जीवन में खुशहाली, स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा भी आती है। तुला संक्रांति पर दान करने से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में संतुलन बना रहता है।
तुला संक्रांति हर साल अक्टूबर महीने में आती है, जब सूर्य देव कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करते हैं। सनातन धर्म में संक्रांति का दिन हमेशा शुभ माना जाता है क्योंकि यह नए ऊर्जा चक्र की शुरुआत का प्रतीक होता है। यह जीवन में संतुलन, समृद्धि और सकारात्मक बदलाव लाता है।
तुला राशि के स्वामी शुक्र देव हैं, जो प्रेम, सौंदर्य, सहयोग और समृद्धि से जुड़े हुए हैं। जब सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह समय विशेष रूप से न्याय, संतुलन और सामंजस्य की ओर ध्यान देने का होता है। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि संक्रांति के दिन किए गए स्नान और दान से साधक को पुण्य की प्राप्ति होती है।
तुला संक्रांति पर स्नान का महत्व
तुला संक्रांति के दिन सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए स्वच्छता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय किया गया पवित्र स्नान शरीर और मन दोनों को शुद्ध करता है।
यह न केवल मानसिक शांति और सुकून प्रदान करता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नई प्रेरणा लाने का साधन भी बनता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुला संक्रांति के दिन स्नान करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक लाभ, संतुलन और जीवन में खुशहाली प्राप्त होती है।
तुला संक्रांति पर दान का महत्व
दान को हमेशा से अच्छा कर्म करने और पुण्य कमाने का तरीका माना गया है। तुला संक्रांति के दिन गरीबों, जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र या अन्य उपयोगी वस्तुएं दान करने से साधक को विशेष फल प्राप्त होते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किया गया दान दोगुना फलदायी होता है। इससे न केवल व्यक्ति का आध्यात्मिक विकास होता है, बल्कि जीवन में खुशहाली, स्वास्थ्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा भी आती है। तुला संक्रांति पर दान करने से ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में संतुलन बना रहता है।