ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल पर हाईकोर्ट सख्त

ग्वालियर में फल-सब्जियों और पोल्ट्री में ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन के दुरुपयोग को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव संदीप यादव और ग्वालियर कलेक्टर रुचिका चौहान को अवमानना नोटिस जारी किया। अदालत ने पूछा कि 2013 में दिए गए आदेश के बावजूद इस खतरनाक उपयोग पर अब तक रोक क्यों नहीं लगी।

यह मामला 12 साल बाद भी ऑक्सीटोसिन के अनियंत्रित उपयोग से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने 6 सितंबर 2013 को इसकी बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का स्पष्ट आदेश दिया था। इसके बावजूद सरकार की ओर से इस पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हो पाया। अवमानना याचिका बीपी सिंह राजावत की ओर से दायर की गई थी।

अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने अदालत को बताया कि लौकी, तुरई, तरबूज और आलू जैसी कई सब्जियों को बड़ा करने के लिए ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का उपयोग लगातार जारी है। पोल्ट्री फॉर्म में भी चूजों की तेज ग्रोथ के लिए इसी प्रतिबंधित इंजेक्शन का इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि कई इलाकों में यह इंजेक्शन किराने की दुकानों पर भी बिना रोक-टोक बिक रहा है और किसान आलू की फसल पर इसका सीधा छिड़काव कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि सब्जी मंडियों में ऑक्सीटोसिन से बड़े किए गए तरबूज और फल-सब्जियां खुलेआम बिक रही है। यह न सिर्फ उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा है, बल्कि अदालत के आदेशों की सीधी अवहेलना है।

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