ऐसा गांव जहां भाई के साथ सोना पड़ता है बीवी को, कारण जान हैरान हो जाएंगे आप!
सिर्फ दो मुख्य वजहों से यह कुरीति इस गांव में प्रथा के रूप में प्रचलित हो गई हो गई एक तो पैसों की तंगी दूसरा लिंगानुपात।
जहां आज 21 वीं सदी में महिलाएं एक ओर हर नए क्षेत्र में नई कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं और लड़कों को कड़ा मुकाबला दे रही हैं। वहीं इस दुनिया में कुछ जगहें ऐसी भी है जहां महिलाओं के साथ पशुओं से बुरा बर्ताव होता है। ऐसी ही एक कुरीति के बारे में आज हम इस आर्टिकल में बता रहे है।
जहां सिर्फ जमीन का बंटवारा होने से बचाने के लिए एक भाई शादी नहीं करके अपने ही भाई की पत्नी (जो रिश्ते में उसकी भाभी या बहू लगी) उससे जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाता है। जी हां सुनकर यकीन नहीं हो रहा है ना! लेकिन यह सच है। और यह सब परिवार की रजामंदी से होता है। जिसमें उस महिला का कोई जोर नहीं चलता है।
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सिर्फ बंटवारा बचाने के लिए
दिल्ली से 2 घंटे दूर राजस्थान के अलवर जिले के एक छोटे से गांव मनखेरा में एक ऐसी परंपरा है जिसे आज के समय में गैर कानूनी या अमानवीय समझा जाता है। इस अनोखी परम्परा का पालन इसलिए किया जाता है क्योंकि यहां स्त्री पुरुष के लिंग अनुपात में बहुत अधिक अंतर है और हर घर के पास थोड़ी बहुत ज़मीन है। तो यदि परिवार में दो भाई हैं जिनके पास बहुत कम ज़मीन है तो परिवार में एक भाई की शादी नहीं की जाती। एक भाई अपने वैवाहिक जीवन का बलिदान कर देता है ताकि परिवार की ज़मीन आगे और अधिक न बंटे और उसके भाई की अमीर परिवार में शादी हो तथा उसे अच्छा दहेज़ मिले। वास्तव में यह कुछ बलिदान नहीं है बल्कि दूसरे शब्दों में यह जमीन बचाने के लिए दो भाईयों में एक महिला (एक भाई की पत्नी) को बांटने का अनुबंध है।
दो कारण है इस कुरीति के पीछे इस कुरीति के प्रचलन के पीछे दो प्रमुख कारण सामने आई है, एक तो महिला और पुरुष के लिंगानुपात में बड़ा अंतर और दूसरा यहां के लोगों में पैसो और जमीन की कमी।
महिलाओं के साथ ज्यादती
इस गांव में इस कुरीति का पालन व्यापक रूप से किया जाता है परन्तु कोई इस बारे में खुलकर बात नहीं करना चाहता है। हालांकि इस कुरीति की शिकार हो रही महिलाएं भी इसके बारे में खुलकर बात या विरोध नहीं कर सकती है। अगर कोई महिला परिवार के गैर पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने से मना करती है तो उनके लिए इसका अंजाम बहुत बुरा होता है। इस कुरीति की वजह से उन महिलाओं की स्थिति कभी संवेदनशील हो चुकी है जिन्हें परिवार के अन्य पुरुष को अपना पति मानना पड़ता है।
लिंग अनुपात और शादी
एक सर्वेक्षण में मालूम चला था कि कम जमीन होने के कारण इस गांव के बहुत से पुरुष अविवाहित हैं। वर्ष 2013 में ऐसे परिवारों का प्रतिशत 8.1 था जिनका कम से कम एक पुरुष सदस्य अविवाहित थे। जबकि वर्ष 2007 में ऐसे परिवारों का प्रतिशत 5.7 था। इस बलिदान की कहानी पर विश्वास नहीं किया जा सकता है कि इस गांव में मुख्य आर्थिक स्त्रोत एक मात्र खेती है। और जैसा कि सर्वे में बात स्पष्ट है कि यहां के लोगों के पास अजीविका का कोई दूसरा साधन नहीं है तो वास्तव में यह दो भाईयों के बीच पत्नी को बांटने का एक अनौपचारिक अनुबंध होता है। हालांकि हमारे देश में बहु पतित्व की धारणा को मान्यता नहीं है लेकिन इस गांव में यह गैर आधिकारिक तौर पर यह कुरीति मान्य है।
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हो सकते है भयावह परिणाम
आश्चर्यजनक रूप से इस सर्वे में मालूम चला कि इस गांव में 19 वर्ष से अधिक उम्र की कोई भी महिला ऐसी नहीं थी जो शादीशुदा नहीं थी। सच मानिए ऐसी कुरीतियां जिन्हें गांवों में पराम्पराओं का नाम दिया जाता है, जब भी औरतों के साथ जुड़ी ऐसी कुरीतियों के बारे में पढ़ने का या जानने का मौका मिलता है तो दिमाग के एक कोने से आवाज निकलती है कि अगर वक्त रहते कन्या भ्रूण हत्या को नहीं रोका गया था भविष्य में इससे भी भयानक कुरीतियों और स्थितियों का सामना करना पड़ेगा।