एकादशी के दिन चावल खाने की क्यों है मनाही?

वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर निर्जला एकादशी व्रत किया जाता है। इस बार निर्जला एकादशी 06 जून को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सभी सुख मिलते हैं। साथ ही सभी पापों से छुटकारा मिलता है।

सनातन शास्त्रों में इस व्रत के नियम भी बताए गए हैं, जिनका पालन जरूर करना चाहिए। एकादशी तिथि पर चावल का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस गलती को करने से साधक को पाप का सामना करना पड़ता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एकादशी के दिन चावल क्यों नहीं खाने चाहिए। अगर नहीं पता, तो ऐसे आइए आपको बताएंगे इसकी वजह के बारे में।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार यज्ञ में भिखारी के आने का महर्षि मेधा ने अपमान कर दिया, जिससे मां दुर्गा को क्रोध आया। देवी के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने अपना शरीर का त्याग कर दिया, जिसके बाद महर्षि मेधा का शरीर धरती में समा गया। देवी दुर्गा उसके पाप कर्म के फल को देख प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दे दिया कि महर्षि मेधा चावल में रूप में उत्पन्न होंगे। इसके बाद महर्षि मेधा चावल के रूप में उत्पन्न हुए।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन चावल का सेवन मांस खाने का समान माना जाता है। इसी वजह से इस तिथि पर चावल खाने की मनाही है। ऐसा माना जाता है एकादशी के दिन चावल खाने से व्यक्ति को अगला जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में मिलता है।

निर्जला एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 06 जून को देर रात 02 बजकर 15 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 07 जून को सुबह 04 बजकर 47 मिनट पर होगा। ऐसे में 06 जून को निर्जला एकादशी व्रत किया जाएगा।

निर्जला एकादशी 2025 व्रत पारण का टाइम
व्रत का पारण करने का समय 7 जून को दोपहर 01 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 31 मिनट तक है।

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