एक साथ उठीं चार अर्थियां, पाली के ढाबर गांव में हुआ अंतिम संस्कार, मृतकों में तीन सगे भाई; गमगीन

पाली जिले के रोहट तहसील स्थित ढाबर गांव में मंगलवार सुबह एक साथ चार युवकों की अर्थियां उठीं, तो पूरा गांव शोक में डूब गया। गांव के जिन रास्तों से रोज़ जिंदगी चलती थी, वहां आज मातम पसरा हुआ था। भरत, मदन, राकेश और विनोद की एक साथ निकली अंतिम यात्रा में पूरा गांव उमड़ पड़ा और हर आंख नम हो उठी।
गांव में पसरा सन्नाटा, घरों में कोहराम
चारों युवकों की एक साथ हुई असमय मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया है। शोक में डूबे परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीण परिजनों को ढांढस बंधाने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन मातम का यह मंजर किसी की भी आंखें नम कर देने वाला है।
श्मशान में उमड़ा जनसैलाब
मंगलवार सुबह ढाबर गांव के श्मशान में जब एक साथ चारों युवकों का अंतिम संस्कार किया गया, तो गांव का हर व्यक्ति वहां मौजूद था। पूरा गांव गमगीन माहौल में उन चारों को अंतिम विदाई देने पहुंचा।
हैदराबाद में है पिता का व्यवसाय
मृतकों के पिता पेमाराम राठौड़ मूल रूप से ढाबर गांव के निवासी हैं और बीते डेढ़ दशक से हैदराबाद के चिंतल दिलखुश नगर में रह रहे हैं। वहां वह ‘राधा कृष्ण ट्रेडर्स’ नाम से होलसेल व्यवसाय करते हैं। मृतकों में तीन राकेश, मदन और भरत सगे भाई थे, जबकि विनोद उनका मौसेरा भाई था। चारों आपस में बेहद घनिष्ठ थे और साथ में ही रहते और पढ़ते थे।
ऐसे हुआ हादसा
15 जून को पेमाराम की पत्नी सोनादेवी, अपने तीन बेटों राकेश, मदन और भरत के साथ, अपनी बहन के बेटे विनोद और कुछ पड़ोसियों के साथ तेलंगाना के प्रसिद्ध बसारा स्थित सरस्वती मंदिर दर्शन व पूजन के लिए गई थीं। वहीं पास बह रही गोदावरी नदी में नहाते वक्त पांच युवक पानी के तेज बहाव में बह गए। इनमें से राकेश, मदन, भरत, विनोद और रितिक की डूबने से मौत हो गई। रितिक पड़ोसी परिवार से था।
डॉक्टर बनने का था सपना
पेमाराम के तीनों बेटे डॉक्टर बनने का सपना देखते थे और पढ़ाई में बेहद मेधावी थे। सबसे बड़े बेटे राकेश ने हाल ही में नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) पास किया था। भरत राठौड़ ने दसवीं बोर्ड परीक्षा में जिले में टॉप किया था, जबकि मदन 12वीं कक्षा में पढ़ता था। उनका मौसेरा भाई विनोद भी डॉक्टर बनने की तैयारी कर रहा था। चारों की असमय मौत ने एक साथ चार होनहार सपनों को छीन लिया।