एक थे शोभन सरकार और एक थे विकास दुबे

सुयश
दोनों नामों को सुनकर यकायक ही दोनों छवियाँ उभर आती है लेकिन ग़ौर करने वाली बात ये है कि दोंनो ने एक मिट्टी में जन्म लिया तो एक तरफ़ शोभन सरकार जिन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया लोंगो की सेवा के लिये वहीं दूसरी तरफ़ उसी क्षेत्र में विकास ने अपनी प्रभुसत्ता स्थापित करके लोंगो का जीवन हरण करके अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया।
20 किलोमीटर से कम के अंतर में है बिकरु व शोभन की दूरी
शोभन सरकार ने इसी साल अपने देह का परित्याग किया उन्होंने उस क्षेत्र के लिये जो किया शायद वर्षो तक लोग न भूल पाये। वहीं विकास दुबे ने भी उसी सरजमीं में जन्म लिया लेकिन अंतर देखिये एक ने बुरे कर्मो से अपने साम्राज्य का निर्माण करना और अंत में बुरे कर्मो की सज़ा यूपी पुलिस व एसटीएफ ने दी।
कानपुर नगर से छत्रपति शाहू जी विश्वविद्यालय आगे की तरफ़ जाने पर कानपुर देहात की सीमा शुरू हो जाती है सीमा के अंदर प्रवेश करते ही सबसे पहले आपको शोभन सरकार के मंदिरों के बारें में ही पता चलेगा लेकिन अब ऐसा नहीं है वहाँ जाने पर बिकरु के दुर्दान्त अपराधी विकास दुबे कहीं न कहीं जहन में रहेंगे।
हालांकि शोभन सरकार और विकास दुबे के आलावा गणेश शंकर विद्यार्थी, अटल विहारी वाजपेयी, रामनाथ कोविंद, बटुकेश्वर दत्त जैसे महान व्यक्तित्व भी कानपुर की पहचान रहे हैं और रहेंगे भी।
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