एआई और रोबोट से मजबूत हुई एलओसी की सुरक्षा: भारतीय सेना ने बढ़ाई हाईटेक निगरानी

भारतीय सेना ने एलओसी पर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए एआई आधारित उपकरण, रोबोटिक म्यूल, ड्रोन और ऑल-टेरेन व्हीकल्स जैसे अत्याधुनिक संसाधनों को तैनात किया है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इन तकनीकों का सफल परीक्षण हुआ, जिससे दुश्मन की हर हरकत पर नजर है।
भारतीय सेना ने जम्मू-कश्मीर के राजोरी जिले में नियंत्रण रेखा पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया है। इस क्रम में सेना ने स्मार्ट फेंस सिस्टम, रोबोटिक म्यूल और ऑल-टेरेन व्हीकल्स को शामिल किया है, जो सीमा सुरक्षा में क्रांतिकारी बदलाव ला रहे हैं।
एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि सेना की नई तकनीक और रणनीति ने सीमा सुरक्षा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे देश की सुरक्षा और स्थिरता में वृद्धि हुई है। इन नए उपकरणों का 7 मई से 10 मई के बीच ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था। भारतीय सशस्त्र बलों ने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचों पर मिसाइल हमले किए थे और दुश्मन की जवाबी कार्रवाई का सफलतापूर्वक जवाब दिया था।
सेना ने सीमा पर त्रि-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था लागू की है। एलओसी की कड़ी निगहबानी के लिए सीमा पर गश्त और सतर्कता बढ़ा दी है। बख्तरबंद वाहन आर्मडो और सभी इलाकों में इस्तेमाल किए जा सकने वाले उन्नत सैन्य वाहनों के शामिल होने से सेना की त्वरित प्रतिक्रिया बहुत तेज हो गई है। इससे सुरक्षा टीमों को घने जंगलों वाले सबसे चुनौतीपूर्ण और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में किसी भी खतरे को बेअसर करने के लिए तेज़ी से कार्रवाई करने का लाभ मिल रहा है।
रोबोटिक म्यूल, युद्ध के मैदान में एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में उभर रहा है। यह रोबोट तेजी से सप्लाई कर सकता है। विस्फोटकों का पता लगा सकता है और टोही वाहनों का संचालन कर सकता है। इसका मॉड्यूलर डिजाइन विभिन्न युद्धक्षेत्र की भूमिकाओं में अनुकूलन की अनुमति देता है। यह झुंड में भी काम कर सकता है, जिससे एक मिनी रोबोट सेना बनती है जो सैनिकों के लिए जोखिम को कम करते हुए परिचालन दक्षता को बढ़ाती है।
सेना, निगरानी, टोही और हमले के लिए सैन्य अभियानों में ड्रोन को तेजी से शामिल कर रही है। ये ड्रोन सटीक निशाना लगाने वाले तंत्रों से लैस हो सकते हैं। दुश्मन के ठिकानों पर ग्रेनेड और आईईडी से हमला कर सकते हैं। भारतीय सेना का बैटल ऑब्स्टेकल कोर्स धीरज, शक्ति और युद्ध की तैयारी की एक कठिन परीक्षा है। यह वास्तविक युद्धक्षेत्र की परिस्थितियों का अनुकरण करता है, जिसमें इलाके की चुनौतियाँ, जंगल में ऑपरेशन और बंकर-तोड़ अभ्यास शामिल हैं।
सेना ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस समारोह में खलल डालने की आतंकवादियों की किसी भी कोशिश को नाकाम करने के लिए नियंत्रण रेखा पर गश्त तेज कर दी है और त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था स्थापित की है। दुश्मन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के लिए गश्त के अलावा डॉग स्क्वॉयड और डिटेक्टर तैनात किए जा रहे हैं।