‘उम्मीद से बेहतर निकली पीएम मोदी की समझ’

भारत के प्रधानमंत्री और सिलिकॉन वैली के पांच दिग्गजों का एक ही मंच पर बैठ कर डिजिटल इंडिया के सपने में एक दूसरे के साथ भागीदारी की बात करना एक अनूठा मौका था। वो शब्द भले ही घिसा-पिटा लगे लेकिन बहुत लोगों की नजरों में ये मौका “ऐतिहासिक” भी था।
इस दशक के अंत तक 50 करोड़ भारतीयों का इंटरनेट से जुड़ना सिलिकॉन वैली के लिए एक नायाब मौका है और प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में काफी हद उन्हें न्यौता दिया एक जिम्मेदार साझेदार बनने का।
वहीं कुछ लोगों को ये भी लगा कि शायद इस मंच का इस्तेमाल वो एक ठोस “पॉलिसी स्पीच देने के लिए भी कर सकते थे लेकिन उन्होंने एक “फील गुड” स्पीच से काम चला लिया जो तालियां बटोरने तक सीमित रह गई।”
शिक्षा, बेहतर प्रशासन, ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी और स्थानीय भाषाओं में इंटरनेट ये चार स्तंभ हैं डिजिटल इंडिया के और इनमें हासिल करने में एक दशक का वक्त लगेगा।
लेकिन जो अच्छी बात नजर आई वो ये कि इनमें से कुछ पर प्रगति काफी तेज है और कुछ में शुरुआत हो चुकी है। गूगल कई कार्यक्रमों पर भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।
सवा अरब की आबादी में सिर्फ 20 करोड़ अंग्रेजी का इस्तेमाल करते हैं, चालीस करोड़ हिंदी का इस्तेमाल करते हैं और हमने सबसे पहले हिंदी में इंटरनेट उपलब्ध कराने पर जोर दिया और वो पूरा हो चुका है।
आपने सुना सुंदर पिचाई से कि अगले हफ्ते आठ भारतीय भाषाओं के लिए इंटरनेट लॉन्च होगा। इसके फायदे का अंदाजा आप इसी से लगा लें कि हिंदी वेबसाइट्स और मोबाइल साइट्स अंग्रेजी के मुकाबले दस गुना तेजी से बढ़ रही हैं। आज का ये मंच इन बारीकियों को समझता है और प्रधानमंत्री इन्हीं दिशाओं में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।
डिजिटल इंडिया का स्लोगन या नारा देना अलग बात है लेकिन आम आदमी के लिए उसके क्या मायने हैं ये बहुत अच्छी तरह समझाया उन्होंने सिलिकॉन वैली को।
उन्होंने संदेश दिया कि वो अपने लक्ष्य के प्रति गंभीर हैं और नए आइडिया को आत्मसात करने के लिए तैयार हैं। ये काफी अहम है।