ईरान पर हमले से अमेरिकी संसद में घमासान

ईरान के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अचानक सैन्य हमला अब घरेलू राजनीति में भी भारी हलचल मचा रहा है। ट्रंप ने कांग्रेस की पूरी जानकारी के बिना ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने का फैसला लिया, जिससे अमेरिकी संसद में नया विवाद खड़ा हो गया है। खास बात यह रही कि व्हाइट हाउस ने हमले से पहले सिर्फ रिपब्लिकन नेताओं को जानकारी दी, डेमोक्रेट्स यानी विपक्षी पार्टी को लगभग नजरअंदाज ही कर दिया गया।

सीनेट डेमोक्रेट नेता चक शूमर को हमले से ठीक पहले औपचारिक सूचना दी गई, जबकि हाउस डेमोक्रेट नेता हकीम जेफ्रीज तक खबर ट्रंप के ऐलान के बाद पहुंची। कांग्रेस की इंटेलिजेंस कमेटी के टॉप डेमोक्रेट जिम हाइम्स ने कहा कि उन्हें हमले की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए मिली, जो बेहद शर्मनाक बात है। उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ गलत बल्कि असंवैधानिक भी है कि संसद को विदेश नीति जैसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा का मौका नहीं दिया गया।

ट्रंप की पार्टी में ही बढ़ रहा विवाद
ट्रंप का यह कदम उनकी ही पार्टी में भी विवाद का कारण बन गया है। हाउस सांसद थॉमस मैसी और डेमोक्रेट सांसद रो खन्ना ने मिलकर ‘वॉर पॉवर्स रेजोल्यूशन’ पेश किया है, जो बिना संसद की मंजूरी के ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई रोकने की मांग करता है। ट्रंप के इस फैसले को लेकर रिपब्लिकन पार्टी में भी दो धड़े बनते नजर आ रहे हैं। ट्रंप के कट्टर समर्थक भी अब उनसे नाराज दिख रहे हैं।

ईरान से युद्ध नहीं- जेडी वेंस
खास बात यह भी है कि ट्रंप प्रशासन ईरान के खिलाफ इस अभियान को युद्ध नहीं बल्कि परमाणु कार्यक्रम को रोकने की कार्रवाई बता रहा है। उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा हम ईरान से युद्ध नहीं कर रहे, हम उसके परमाणु कार्यक्रम से लड़ रहे हैं। दूसरी ओर, ट्रंप ने अपनी ही पार्टी के सांसद थॉमस मैसी पर हमला बोला और उन्हें हारने वाला बताते हुए कहा कि वह उनके खिलाफ ही चुनाव प्रचार करेंगे।

अहम प्रस्तावों पर वोटिंग बाकी
इस बीच, कांग्रेस में इस हफ्ते ईरान मुद्दे पर कई अहम प्रस्तावों पर वोटिंग होनी है। इसमें बिना संसद की मंजूरी के अमेरिकी सेना को ईरान में तैनात करने पर रोक लगाने का प्रस्ताव भी शामिल है। हाउस में भी दोनों पार्टियों के सांसदों ने मिलकर इसी तरह का प्रस्ताव पेश किया है।

ट्रंप की यह रणनीति फिलहाल रिपब्लिकन पार्टी को असहज स्थिति में डाल रही है। पार्टी के अंदर ही विरोध की आवाजें तेज हो रही हैं। वहीं, डेमोक्रेट्स का आरोप है कि ट्रंप का यह कदम न सिर्फ असंवैधानिक है बल्कि अमेरिका को फिर एक अनिश्चित विदेश नीति के दलदल में धकेल सकता है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह विवाद अमेरिकी राजनीति में और बड़ा रूप ले सकता है।

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