ये तीन बहनें ओलिंपिक में रचेंगी इतिहास

इस्टोनिया। समान कद-काठी लिए, नीली आंखें और सुनहरे बालों वाली तीन हमशक्ल बहनें इस वर्ष रियो ओलिंपिक खेलों में संभवत: इतिहास रच देंगी, जब वह 2016 रियो ओलिंपिक मैराथन में हिस्सा लेंगी। माना जा रहा है कि इस्टोनिया की लेइला, लिइना और लिली लूइक ओलिंपिक खेलों के 120 वर्षों के इतिहास में हिस्सा लेने वाली पहली हमशक्ल बहनों की तिकड़ी होगी।
30 वर्षीय बहनों ने 26.2 मील की रेस में खुद के लिए प्रशंसकों को जुटाने के लिए “ट्रायो टू रियो” नाम से फेसबुक पेज भी बनाया है। तीनों बहनों ने छह वर्ष पहले 24 साल की उम्र में दौड़ को गंभीरता से लिया। अपनी बहनों को दौड़ में लाने वाली लिइना ने कहा कि लंबी दूरी की दौड़ उनके ज्यादा अनुरूप थी क्योंकि फर्राटा दौड़ में तकनीकी तौर पर ज्यादा मजबूत होना पड़ता है।
कुछ सालों बाद उन्हें लगा कि वह अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में चुनौती दे सकती हैं और यहीं से उन्होंने ओलिंपिक के लिए प्रयास शुरू कर दिए। बहनों का कहना है कि प्रतियोगिताओं में वह एक-दूसरे की रणनीतिक और भावनात्मक तौर पर काफी मदद करती हैं, जैसे टर्न पर हवा के विरुद्ध कैसे चलना है आदि।
दौड़ते हुए करती हैं आपस में बात : यह बहनें इस्टोनिया में अलग-अलग रहती हैं और कई बार अलग अभ्यास करना पड़ता है। लेकिन ठंड में केन्या में गहन प्रशिक्षण के लिए एक-साथ रहती हैं। उन्हें एक-दूसरे का साथ पसंद है और दौड़ते हुए वह बातें भी करती रहती हैं। एक साथ जाने को लेकर लिइया कहती हैं कि अकेले अभ्यास करना कई बार बोरिंग हो जाता है। अब तीनों बहनें उत्तरी इटली में जून में कड़े प्रशिक्षण के लिए जाएंगी, जहां वह रियो जाने से पहले तक रहेंगीं। रियो ओलिंपिक 5 से 21 अगस्त तक होने हैं।
मुश्किल है पदक जीतना : उम्मीदों के विपरित इस तिकड़ी का रियो में पदक जीत पाना मुश्किल है। केन्याई सुपरस्टार टिकी गेलाना ने लंदन 2012 में 2 घंटे 23 मिनट व 7 सेकंड का ओलिंपिक रिकॉर्ड बनाया था। रजत व कांस्य पदक विजेताओं का समय 2:23.12 सेकंड व 2:23.29 सेकंड था। वहीं तिकड़ी में सबसे बड़ी लेइया तीनों में सबसे तेज हैं और उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2013 में शंघाई में 2:27.12 सेकंड का रहा था। उनके बाद लिइना ढाई मिनट ज्यादा लेती हैं जबकि सबसे छोटी लिली उनसे भी 45 सेकंड पीछे हैं। लेकिन इस तिकड़ी के लिए जीत ही सभी कुछ नहीं हैं।
उनका प्रमुख लक्ष्य रियो मैराथन को एक साथ खत्म करने का और व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का है। यदि पदक मिल जाता है तो सोने पे सुहागा होगा।
“हम बचपन से ही चंचल थी। हमें डांस पसंद था और हमेशा व्यस्त रहती थीं इससे हमें पेशेवर खेलों की ओर भेजा। इस अपनाने के एक साल बाद ही इस्टोनिया में हमें अच्छे परिणाम मिलने लगे। इसके बाद हमें लगा कि हम इस्टोनिया के बाहर भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं और बड़े स्तर जैसे यूरोपीय चैंपियनशिप और ओलिंपिक खेलों में कुछ बड़ा हासिल कर सकते हैं। यदि हम पदक जीतने में सफल रहे तो, यह हमारा सपना पूरा होने जैसा रहेगा। हालांकि हम जानते हैं कि हमें वास्तविकता में जीना चाहिए। केन्याई धावकों को चुनौती देना बड़ा मुश्किल है। हम अभी उनके स्तर तक नहीं पहुंच सके हैं, लेकिन हम दो से तीन साल बाद हम उनके स्तर तक पहुंच जाएंगे।” – लिली