इस बार यहां…करें नए साल के जश्न का प्लान

नया साल आने वाला है, जश्न मनाने की तैयारियां चल रही होंगी। आपका मेल बॉक्स ट्रैवल्स कंपनियों के टूर प्लान से पटा हुआ होगा। अधिकतर ट्रैवल्स कंपनियां हर बार की तरह वही समुद्र तटों पर धूप सेंकते बीच के फोटो दिखा रहे होंगे। हो सकता है कि आप भी बीच के किनारों की सैर करते हुए बोर हो गए होंगे।

ऐसे में हम आपको कुछ जगहों के बारे में बताते हैं जहां आपका नया साल मनाना बेहद ही मज़ेदार रहेगा।

राजस्थान का यह शहर ‘द गोल्डन सिटी’ के नाम से मशहूर है। देश-विदेश के पर्यटकों से हमेशा गुलजार रहने वाला यह शहर अपने डेजर्ट डेस्टिनेशन के लिए प्रसिद्ध है। यहां की बड़ी-बड़ी हवेलियां हैं जिसकी वजह से इसे हवेलियों की नगरी भी कहा जाता है। यहां आकर आप जैसलमेर किला, जैन मंदिर और आस-पास के गावों का भ्रमण कर सकते हैं। फरवरी में यहां लगने वाले डेजर्ट फेस्टिवल में भी जाया जा सकता है।

जैसलमेर पहुंचकर आप उदयपुर जा सकते हैं। इसे ‘लेक सिटी’ भी कहते हैं। हर तरफ रेगिस्तान देखकर अगर दिल भर गया हो तो थोड़ा झीलों का नज़ारा भी देख लें। उदयपुर में जहां भी जाएंगे लेक ही लेक दिखाई देंगे। झीलों की इस नगरी में आकर आप वोटिंग का मज़ा ले सकते हैं। यहां आकर झील के किनारे जगमंदिर को देखना ना भूलें। घुमक्कड़ी के साथ-साथ खाने-पीने के भी शौकीनों हैं तो कुम्भलगढ़ किला जाकर लोकल व्यंजनों का लुफ्त उठा सकते हैं।

डिस्कवरी के शो मैन वर्सेस वाइल्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से तो इस पार्क में टूरिस्टों की अचानक बाढ़ सी आ गयी है। देश में सबसे पुराने पार्कों में से एक यह पार्क उतराखंड में स्थित है। इस जंगल में घने पेड़ पौधे हैं। यहां हमेशा जंगली जानवरों का डर बना रहता है। बाधों के लिए प्रसिद्ध इस पार्क में एक बार आना वाला टूरिस्ट बार-बार यहां पहुंच जाता है। इसके अलावा यहां बंगाल टाइगर, हिरन और हाथी तो आम देखे जा सकते हैं। दिल्ली से कुछ ही घंटों में यहां पहुंचा जा सकता है। ठहरने की भी उचित व्यवस्था है।

जनवरी-फरवरी में देशी-विदेशी पर्यटक गुजरात के रन ऑफ कच्छ में पहुंच जाते हैं। हर साल कच्छ के रण में होने वाले ‘रण उत्सव’ में पहुंचा जा सकता है। दूर-दूर तक फैली रेत की चादर चांदनी रातों में अनुपम छटा बिखेरती है। इस दौरान देश-विदेश के पर्यटकों को गुजरात की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है। रण उत्सव के दौरान पर्यटकों को टैंटों में ठहराया जाता है और ऊंटों की सवारी भी कराई जाती है।

हरे-भरे जंगलों, बादलों की चादर से लिपटे ऊंचे-ऊंचे पहाड़, नदियों का शोर सुनने और देखने का मन है तो पूर्वोत्तर राज्यों का भ्रमण किया जा सकता है। शिलांग पहुंचकर पहाड़ों से गिरते झरने, रंग-बिरंगे फूल, प्राचीन गुफाएं देख सकते हैं। यहां पहुंचकर चेरापूंजी भी जाया जा सकता है जो सबसे ज्यादा बारिश के जाना जाता है। आदिवासियों के बीच जाकर अगर आप सफर को सुहाना बनाना चाहते हैं तो अरुणाचल के जीरो वैली पहुंच जाएं। अप्रतीम सौन्दर्य से भरपूर  जीरो म्यूजिक फेस्टिवल का भी मज़ा ले सकते हैं। हाथियों और गेंडों के लिए जाने जाना वाला असम के काजीरंगा नेशनल पार्क भी धूमने के लिए अच्छी जगह है।

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