इस देश में गलती से भी किसी महिला या लड़की ने लगा लिया लिपिस्टिक, तो उसको करना पड़ता है ये गन्दा काम

लिपिस्टिक लगाने पर इस देश में महिला को ओरल सेक्स के लिए तैयार माना जाता था! हम में से ज्यादातर लोग मौजूदा समय के सेक्स ट्रेंड्स जैसे स्टीलथिंग, पेगिंग और पैनसेक्शुअलिटी के बारे में जानते होंगे। लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नहीं है कि सेक्स के अजीबोगरीब रिवाज सिर्फ 21वीं सदी तक ही सीमित नहीं है बल्कि सदियों पहले भी इस तरह के रिवाज पाए जाते थे। आयरलैंड में एक द्वीप था आइनिस बीग जहां के निवासियों का मानना था कि सेक्स उनकी सेहत के लिए सही नहीं है। अगर वे कभी सेक्स करने का फैसला भी करते थे तो अंडरवेअर पहने रहते थे।

प्राचीन मिस्र में लिपिस्टिक लगाने का मतलब होता था कि आप ऑरल सेक्स के लिए तैयार हैं। दरअसल मिस्र की दरबारी वेश्याएं अपनी ऑरल सेक्सपर्टाइज का दिखावा करने के लिए लिपिस्टिक लगाती थीं। वहीं से लिपिस्टिक और ऑरल सेक्स का कनेक्शन सामने आया। आज के समय में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के बहुत से इलाज हैं लेकिन 17वीं सदी में ऐसा नहीं था। उस समय लोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए ऑटोइरॉटिक असफिकसिएशन करते थे जिसमें सांस को कुछ समय के लिए रोकना होता है।

15वीं सदी में नुकीले और लंबे अंगूठे वाले जूते का रिवाज था जिसे पूलिनंस के नाम से जाना जाता था। ऐसा माना जाता था कि जितना नुकीला जूता होगा, उतना बड़ा पीनिस होगा।जापान में यह ट्रेंड वास्तव में 1800 में शुरु हुआ था। जिस पहले जापानी कलाकार ने अपने रचना में ऑक्टपस और इंसान के बीच सेक्स को दिखाया था, वह होकुसाई था। उसने 1814 में ‘द ड्रीम ऑफ द फिशरमैन्स वाइफ’ नाम से पेंटिंग बनाई जिसमें एक महिला को ऑक्टपस के साथ संभोग करते दिखाया।

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गर्मी के मौसम में हैती के निवासी एक जलप्रपात में जाकर नंगा नहाते थे और प्रेम की देवी की पूजा करते थे। कुछ ज्यादा धार्मिक लोग बलि दिए गए जानवरों के खून में सेक्स करने को अच्छा मानते थे। रूस के जार शासन में महारानी खासतौर पर जारिना को खुश करने के लिए ऐसे व्यक्ति होते थे जो उनकी संतुष्टि के लिए फुट टिकलर्स यानी पैरों में गुदगुदी लगाने वाले का काम करते थे। फुट टिक्लर्स जारिना को खुश करने के लिए गंदे गाने गाता था।

 

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