इस कार से अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप करेंगे भारत का दौरा, जानिए इसकी खासियत…
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दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को दो दिनों के दौरे पर भारत आ रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप अहमदाबाद के सरदार पटेल स्टेडियम में लाखों की भीड़ को संबोधित भी करेंगे. राष्ट्रपति ट्रंप के आगमन को लेकर पूरी गुजरात सरकार तैयारियों में जुटी हुई है और उनके यात्रा के दौरान सुरक्षा के ऐसे इंतजाम किए जा रहे हैं ताकि परिंदा भी पर न मार पाए.
राष्ट्रपति ट्रंप की सुरक्षा को लेकर अमेरिकी सुरक्षा एजेंसी CIA के करीब 200 एजेंट पूरे लाव-लश्कर के साथ अहमदाबाद पहुंच चुके हैं. ये एजेंट ही ट्रंप की आतंरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालेंगे. सुरक्षा की ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि उनके आगमन के दौरान अहमदाबाद को नो फ्लाइजोन तक घोषित कर दिया जाएगा.
जब आसमान में ट्रंप की ऐसी सुरक्षा रहेगी तो जाहिर है कि धरती पर भी उन्हें सर्वोत्तम सुरक्षा मुहैया कराना सुरक्षा एजेंसियों की प्राथमिकता होगी. ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति की कार को कतई नहीं भूला जा सकता जो रोड पर ट्रंप के लिए किसी ऑफिस से कम नहीं है तो दुश्मनों के लिए टैंक से भी ज्यादा खतरनाक है. इस गाड़ी की खासियत ऐसी है कि कोई कितना भी इसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर ले लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप का बाल भी बांका नहीं कर सकता.
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दुनिया के सबसे ताकतवर नेता जिस गाड़ी में सवारी करते हैं वो कोई आम गाड़ी नहीं है. उसका नाम है आर्मर्ड लिमोजीन जिसे साल 2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति के काफिले में शामिल किया गया था. इसे द बीस्ट भी कहा जाता है. इस कार की अगर ताकत की बात करें तो इंजन से लेकर बॉडी तक यह कार ऐसे धातुओं से बनाई गई है जिस पर बम, गोले, रॉकेट का भी कोई असर नहीं होगा. सबसे पहले कार की खिड़की (विंडो) की बात करते हैं जो पॉली कार्बोनेट की पांच परतों से बनी हुई है और यह इतनी मजबूत है किसी भी बंदूक से चलाई गई गोली को अंदर आने से रोक सकती है. यह इतनी मोटी है कि कार का ड्राइवर भी इसे सिर्फ 3 इंच तक ही खोल सकता है.
कार के दरवाजों की बात करें तो इसे 8 इंच मोटे आर्मर-प्लेट से बनाए गए हैं जो किसी भी सीधे हमले को झेल सकते हैं. इतना ही नहीं इसकी मजबूती का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि इसका वजन बोइंग विमान के केबिन के दरवाजे के वजन के बराबर है. जब यह दरवाजा बंद किया जाता है तो यह इस कदर सील हो जाता है कि रासायनिक गैस के हमले को भी अंदर जाने से रोक देता है.
अब राष्ट्रपति ट्रंप की कार की बॉडी की बात करते हैं. इस कार की बॉडी को पांच इंच मोटी सैन्य साजो सामान में इस्तेमाल होने वाले स्टील, टाइटेनियम, एल्यूमीनियम और चीनी मिट्टी को मिलाकर बनाया गया है जो इसे आग और किसी भी प्रकार के हमले से सुरक्षा प्रदान करता है. राष्ट्रपति ट्रंप की गाड़ी में ड्राइवर के लिए अलग केबिन है और वो खुद भी राष्ट्रपति की कार्य गतिविधि को नहीं देखा सकता. केबिन में पूरा कम्यूनिकेशन और जीपीएस ट्रैंकिंग सेंटर लगा हुआ जिससे गाड़ी के हर सेकेंड के मूवमेंट की खबर सुरक्षाकर्मी रखते हैं.
राष्ट्रपति ट्रंप की गाड़ी सिर्फ कार नहीं बल्कि एक तरह से युद्ध टैंक जैसी है जिससे किसी भी परिस्थिति में दुश्मन को माकूल जवाब दिया जा सकता है. बुलेट प्रूफ बॉडी के अलावा कार के फ्रंट में आंसू गैस, ग्रेनेड लांचर और नाइट विजन कैमरे लगे हुए हैं. गाड़ी में एक पैनिक बटन भी लगा होता है जिसके दबाते ही कार में ऑक्सीजन की सप्लाई शुरू हो जाती है. कार के भीतर राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए पंप एक्शन शॉटगन, तोप और ब्लेड बैग जैसी अत्याधुनिक सुरक्षा व्यस्था है. राष्ट्रपति की कार को सिर्फ सीक्रेट सर्विस के प्रशिक्षित कमांडो ड्राइवर चलाते है जो किसी भी परिस्थिति का सामना करने में ट्रेंड होते हैं.
ट्रंप की गाड़ी के ड्राइवर को किसी भी आपातकाल में सुरक्षित निकलने की पूरी ट्रेनिंग पहले से मिली होती है. वो कार को 180 डिग्री तक किसी भी स्पीड में अचानक मोड़ने में सक्षम होता है. ट्रंप गाड़ी की जिस पिछली सीट पर बैठते हैं वहां एक सैटेलाइट फोन लगा होता है जिसके जरिए वो कभी भी किसी भी परिस्थिति में अमेरिका के उप-राष्ट्रपति और पेंटागन मुख्यालय से जुड़े रहते हैं.
लिमोजीन को अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए इस तरह तैयार किया गया है कि अगर कोई दुश्मन उसके फ्यूल टैंक को निशाना बना कर हमला करता तो भी वो नाकाम हो जाएगा. इसका कारण है आर्मर प्लेटेड फ्यूल टैंक जो किसी भी हमले को झेलने में सक्षम है. अब कार के निचले हिस्से की सुरक्षा की बात करें तो यह रिइंफोर्स्ड स्टील प्लेट से बना होता है जो कार को बम और लैंड माइन्स से सुरक्षा प्रदान करता है. इसका मतलब यह हुआ कि इस गाड़ी को विस्फोट से भी नहीं उड़ाया जा सकता है.
अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए अपनाए गए कारों का इतिहास काफी पुराना है. साल 1910 में पहली अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए स्पेशल कार बनाई गई थी जिसे बाद में राष्ट्रपति हर्बर्ट हऊवर ने कैडिलैक कार से बदल दिया.