आर्यन खान की तरह ही अक्षय कुमार के बेटे ने भी चुन लिया अपना फील्ड

कई स्टारकिड्स ऐसे हैं जिन्होंने अपने माता-पिता के फुटस्टेप फॉलो करते हुए एक्टिंग की दुनिया में ही अपनी किस्मत आजमाई। आर्यन को लेकर भी यही उम्मीद जताई जा रही थी लेकिन उन्होंने इस मिथ को तोड़ दिया। अब उनके ही नक्शे कदम को फॉलो करते हुए अक्षय कुमार के बेटे ने भी कुछ ऐसा ही फैसला लिया है।

एक एक्टर का बेटा एक्टर ही बनेगा, इस मिथ को शाह रुख खान के बड़े बेटे आर्यन खान ने तोड़ दिया है। उन्होंने बादशाह से अलग अपने लिए डायरेक्शन का रास्ता चुनते हुए 18 सितंबर को रिलीज हुई नेटफ्लिक्स (Netflix) सीरीज ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड’ से डेब्यू किया।

आर्यन खान की डेब्यू सीरीज के लिए उन्हें ऑडियंस से बेशुमार प्यार मिला। जिस तरह से उन्होंने ‘द बैड्स ऑफ बॉलीवुड (The B****Ds of bollywood) में इंडस्ट्री की पोल-खोल की, वह दर्शकों को बेहद पसंद आया। आर्यन खान (Aryan Khan) की तरह ही अब अक्षय कुमार के बेटे ने भी एक्टिंग की दुनिया में कदम न रखकर अपने लिए दूसरा फील्ड चुना है।

एक्टिंग नहीं इस काम में है अक्षय के बेटे की रूचि
शाह रुख खान हों या सैफ अली खान, हिंदी सिनेमा के खिलाड़ी अभिनेता अक्षय कुमार के कई समकालीन अभिनेताओं के बच्चे भी सिनेमा इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं। अक्षय भी चाहते हैं कि उनके बेटे आरव सिनेमा इंडस्ट्री में काम करें, लेकिन आरव की रुचि कहीं और है।

अपने बेटे को लेकर अक्षय ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया, “उसको सिनेमा में नहीं आना है। वह जो भी करना चाहता है, मैं उसकी प्रशंसा करता हूं। उसने मुझे स्पष्ट रूप से कहा है कि डैड मुझे फिल्मों में नहीं आना है। मैं कई बार बोलता हूं कि बेटा डैडी (अक्षय) का फिल्मों में बिजनेस भी है, प्रोडक्शन भी है, आके संभाल लो। हालांकि, उसको ये सब नहीं करना है। वो फैशन में रहना चाहता है। वह डिजाइनर बनना चाहता है। वह फिलहाल फैशन से जुड़ी चीजें सीख रहा है”।

मैं चाहता हूं कि वह मेरा प्रोडक्शन संभाले
बेटे के निर्णय पर आगे बात करते हुए अक्षय कुमार ने कहा कि मैं चाहता हूं कि वो फिल्मों में आए, अपने डैडी का प्रोडक्शन संभाले। हालांकि, वो नहीं चाहता है तो मैं उसके लिए भी राजी हूं, मैं उसकी स्थिति पूरी तरह समझता हूं।

मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ था, मेरे पिता चाहते थे कि मैं अकाउंट्स में जाऊं, सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) बनूं, क्योंकि मेरे पिता भी अकाउंटेंट थे। मेरा मन नहीं था, मेरा मन मार्शल आर्ट्स में था, मैं मार्शल आर्ट्स टीचर बनना चाहता था। फिर मेरे पिता ने कहा कि ठीक है, 11वीं-12वीं तक पढ़ लो, उसके बाद जो करना है कर लो।

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