आगरा में 27 लाख रुपये हो गए खर्च…फिर भी नहीं साफ हो सका पानी

ताजमहल के शहर आगरा का पानी 27 लाख खर्च होने के बाद भी साफ नहीं हो सका। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को इसके लिए जिम्मा दिया गया था। प्रोजेक्ट विफल होने के बाद अब स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने बकाया 63 लाख रुपये एएमयू से लौटाने के लिए कहा है।

आगरा स्मार्ट सिटी क्षेत्र के तौर पर ताजमहल के आसपास के क्षेत्र को चुना गया था। इसी क्षेत्र में ताज के पूर्वी गेट से होकर सीधे यमुना में गिरने वाले नाले के पानी को फिल्टर करने के लिए बायोरेमेडिएशन व वेटलैंड ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट तैयार किया गया। 90 लाख रुपये की लागत वाले इस प्रोजेक्ट को लागू करने का जिम्मा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एएमयू को दिया गया। प्रोजेक्ट शुरू हुआ लेकिन इसका लाभ होने की बजाय लोगों की परेशानी बढ़ गईं।

बारिश के दौरान घरों में ही नाले का गंदा पानी घुसने लगा। यही नहीं, पानी का फ्लो ज्यादा होने की वजह से वेटलैंड एरिया में पौधे भी नहीं टिक पा रहे थे। इस समस्या से जूझते हुए प्रोजेक्ट के 90 लाख रुपये में से 27 लाख रुपये खर्च हो चुके थे। इसी साल फरवरी महीने में ताजगंज क्षेत्र के पार्षद ने लोगों के घरों में पानी भरने की समस्या के चलते प्रोजेक्ट पर सवाल उठाए। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने इसपर एएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के साथ मंथन शुरू किया। चर्चा के बाद अब प्रोजेक्ट को बंद करने का फैसला लिया गया है।

मंडलायुक्त शैलेंद्र कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई स्मार्ट सिटी बोर्ड की बैठक में इस फैसले पर मुहर भी लग गई है। इस फैसले के साथ ही स्मार्ट सिटी ने एएमयू प्रशासन से बकाया 63 लाख रुपये लौटाने के लिए संपर्क साधा है। स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक अरुण कुमार ने बताया कि शुरू में तो पानी साफ हुआ, लेकिन प्रोजेक्ट के गेट पर गाद भरने की वजह से पानी बैक फ्लो होकर आसपास के घरों में जाने लगता था। साथ ही पिछले तीन साल से वहां बनाए गए वेटलैंड में पानी साफ करने वाले पौधे ही तेज बहाव के कारण बह जाते थे। ऐसे में इस दोहरी समस्या से निजात पाने के लिए ही प्रोजेक्ट को बंद करने का फैसला बोर्ड की बैठक में लिया गया है।

इसलिए एएमयू को दिया गया था जिम्मा
एएमयू के डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के प्रो. (डॉ.) नदीम खलील खंदे पानी के प्रकृति आधारित समाधान के लिए विशेषज्ञ माने जाते हैं। डिपार्टमेंट के पास इस प्राकृतिक विधा का पेटेंट है और उन्होंने कानपुर और अलीगढ़ में इस तरह के प्रोजेक्ट लगाए हैं। चूंकि ताज के आसपास नए प्रोजेक्ट को लगाने में कई तरह की अनुमतियां और औपचारिकताएं आ सकती थी, इसलिए स्मार्ट सिटी ने एएमयू को प्रकृति आधारित समाधान के जरिये गंदे पानी को शोधित कर यमुना में छोड़ने का जिम्मा सौंपा।

2024 में बताई थी कई परेशानी
विभागाध्यक्ष प्रो. खलील ने वेटलैंड को लेकर जुलाई 2024 में स्मार्ट सिटी को पत्र लिखकर कई परेशानियां बताकर सुझाव सुझाए थे। हालांकि उनपर न तो चर्चा हुई और न ही कोई काम हुआ। इसी वजह से जब स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक (प्रोजेक्ट) ने प्रोजेक्ट बंद करने के संबंध में पत्र लिखा तो प्रो. खलील ने उनके फैसले का समर्थन कर दिया।

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