बड़ी खबर: ऐसे आखिरी मिनट में भटक गया चंद्रयान 2, अब भी कर रहा है काम..


आपको बता दें कि इसरो ने विक्रम की लैंडिंग के लिए शुरुआती 15 मिनट बेहद खतरनाक बताए थे। शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था। विक्रम की गति को भी काफी हद तक कम कर लिया गया था और उसके सभी चारों इंजन भी सही से काम कर रहे थे। लेकिन बाद में अचानक से विक्रम से मिलने वाले डाटा रुक गए, और इसरो वैज्ञानिकों का डर सही साबित हुआ। इसके बाद इसरो चेयरमेन ने अपनी घोषणा में बेहद दुखी मन से कहा कि विक्रम की लैंडिंग जैसी होनी चाहिए थी नहीं हो सकी। मिशन कंट्रोल रूम का संपर्क विक्रम से टूट गया है और अब विक्रम से मिले सभी आंकड़ों की बारिकी से जांच की जाएगी।
विक्रम से संपर्क टूटने और उसकी लैंडिंग के बीच यह सवाल सबसे बड़ा है कि आखिर वहां पर क्या हुआ और अब क्या होगा। इसके फिलहाल कयास ही लगाए जा सकते हैं लेकिन मुमकिन है कि विक्रम को जिस गति और जिस दिशा की तरफ से चांद की सतह पर उतरना चाहिए था वह संभव नहीं हो सका। ऐसे में यदि विक्रम किसी दूसरी दिशा की तरफ से चांद की सतह पर उतरा होगा तो चांद की सतह से उसको जबरदस्त टक्कर का सामना करना पड़ा होगा। मुमकिन है कि इस टक्कर से उसको कुछ क्षति भी पहुंची हो, जो इसरो के मिशन कंट्रोल रूम से संपर्क टूटने का कारण बनी हो। ऐसे में यदि विक्रम अपने अंदर लगे कंप्यूटर्स से निर्देश पा भी रहा होगा तो भी वह शायद रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर न उतार सके। आपको बता दें कि विक्रम के अंदर मौजूद प्रज्ञान को लैंडिंग के कुछ घंटो बाद चांद की सतह पर उतारा जाना था। वही चांदकी सतह पर चलकर वहां से आंकड़े एकत्रित करता।
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इस दौरान विक्रम की गति और उसका लैंडिंग पथ बेहद मायने रखता था। लेकिन लैंडिंग पथ से भटक जाने पर मुमकिन है कि विक्रम की लैंडिंग किसी ऐसे क्रेटर में हो गई हो जिसकी वजह से वह खुद को संभाल नहीं पाया हो और कहीं फंस गया हो। ऐसे में विक्रम को क्षति भी पहुंच सकती है। विक्रम की इस तरह की संभावित लैंडिंग को क्रैश लैंडिंग की भी संज्ञा दी जा सकती है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि चांद पर 30 से अधिक बड़े क्रेटर्स या गड्ढे मौजूद हैं वहीं छोटे क्रेटर्स की गिनती करना ही संभव नहीं है। चांद की सतह बेहद पथरीली और उबड़ खाबड़ है, जिसकी वजह से वहां पर कोई भी गलती नुकसानदेह साबित हो सकती है। इसको हम कुछ चित्रों के माध्यम से भी समझ सकते हैं।