आईये जाने , चॉकलेटी बॉय कहे जाने वाले वरुण धवन के नशेड़ी रोल के में
अब तक दो फिल्में ऐसी रही हैं जिसने वरुण धवन को अपने समकालीन कमर्शियल स्टार्स से अलग किया है – डायरेक्टर श्रीराम राघवन की ‘बदलापुर’ (2015) और शूजीत सरकार की ‘अक्टूबर’ (2018). नहीं तो सिने परदे के ऊपर और असली लाइफ में वो गहरे, ऑफ-बीट नहीं लगते. वो एबीसीडी, मैं तेरा हीरो, बदरीनाथ की दुल्हनिया और ढिशूम टाइप लगते हैं. लेकिन असली वरुण धवन में कहीं इंटेंस और चॉकलेटी से परे होने की चाह हमेशा रही है. एक बार उन्होंने कहा था कि उनका झुकाव लेफ्ट की ओर रहा है. पारंपरिक से उलट. उन्हें अनुराग कश्यप की ‘ब्लैक फ्राइडे’ बहुत पसंद आई थी. उन्होंने कहा था कि अगर अनुराग कश्यप उन्हें अपने स्टाइल के डार्क सिनेमा में लॉन्च करते तो वो उसके लिए अपना दायां हाथ तक कटवा देते.
जब वे फिल्ममेकिंग सीख रहे थे तब जो प्रायोगिक फिल्में बना रहे थे वो भी कुछ इस तरह की ही थी, अपने पिता द्वारा बनाई साजन चले ससुराल, हीरो नंबर वन और राजा बाबू जैसी नहीं. अब भी, वो मेनस्ट्रीम में भी, ‘सुई धागा’ जैसी ज़रा रियलिस्टिक फिल्म चुनते चल रहे हैं. हालांकि हालिया रिलीज ‘कलंक’ फिर मुख्यधारा की मसाला प्रस्तुति ही रही.
उनके बर्थडे वीक में जानते हैं कुछ ऐसी बातें जो वरुण के जीवन के बारे में काफी कुछ बताती हैं. पिता डेविड से रिश्ते के बारे में. सिनेमा के बारे में. कुछ हंसी भरे पलों के बारे में. कुछ बातें ऐसी हैं जो उन्होंने बीते साल इफ्फी गोवा के फिल्म महोत्सव में बताई थी, कुछ हमने ढूंढ़ी.
1.वरुण शुरू में हीरो नहीं बनना चाहते थे. जब बच्चे थे तो चाहते थे कि एक चैनल के मालिक बनें जहां उनका खुद का एक टॉक शो हो. जिसमें वो स्टैंड अप कॉमेडी कर सकें और दूसरों को एंटरटेन कर सकें.
2. पिता डेविड धवन को शुरू से अपने बेटे में कोई भरोसा नहीं था कि वो कुछ बड़ा कर सकता है. वो सोचते थे कि इसको पढ़ा तो दिया पता नहीं ये क्या कर पाएगा. इसीलिए उन्होंने और उनकी पत्नी ने सोच रखा था कि वरुण को किसी परिचित के बैंक में कोई काम दिलवा देंगे. इसीलिए वरुण ने एक बार जाकर सिटी बैंक में इंटरव्यू भी दिया था.
3. बाद में वो करण जौहर को असिस्ट करने लगे. वरुण ने लेकिन इसके बारे में अपने पिता डेविड को भी नहीं बताया था. वो अपने आप ही गए और करण से जुड़े.
4. इसके बाद उन्होंने डेढ़-दो साल बैरी जॉन से एक्टिंग सीखी. इन्हीं बैरी से शाहरुख खान और मनोज बाजपेयी ने एक्टिंग सीखी थी.
5. वरुण ने एक बार डायरेक्टर किरण राव की डेब्यू फिल्म ‘धोबी घाट’ में भी ऑडिशन दिया था, संभवतः मुन्ना के रोल के लिए जो बाद में प्रतीक बब्बर ने किया. पिता डेविड धवन को उन्होंने ऑडिशन देने से पहले नहीं बताया. जब डेविड को पता चला तो वे गुस्सा हो गए. उन्होंने कहा कि तुम पागल हो क्या? उन्होंने वरुण की मां से कहा, “ये पागल हो गया है. अगर इसे फिल्में करनी हैं तो ढंग से करे, इस टाइप की फिल्म से नहीं शुरू हो सकता हिसाब किताब.”
6. एक दिन करण जौहर उनके घर आए और बोले कि वे वरुण को अपनी फिल्म में लेना चाहते हैं, तब जाकर डेविड को राहत हुई. उन्होंने कहा कि ये फिल्म तेरे लिए ठीक है, इससे बढ़िया तुझे और क्या चाहिए. अब कंधे पर पैर रखकर छलांग लगा ले.
7. जब वरुण ने ‘बदलापुर’ करनी शुरू की तब भी पिता डेविड धवन की प्रतिक्रिया गुस्से वाली थी. इस पर डेविड का कहना था, “इसने दाढ़ी बढ़ा ली थी, कैरेक्टर में था. हंसता नहीं था. बात भी नहीं करता था 20 दिन तक. तो मैं अपनी वाइफ को बोलता, ये दाढ़ी कब काटेगा यार, पता करो.”
8. ‘बदलापुर’ वरुण की पहली डार्क फिल्म थी जिसके बाद से आलोचकों ने उनको कुछ गंभीरता से लेना शुरू किया, बाकी उनकी छवि कमर्शियल हीरो की ही है. लेकिन असल में वरुण ने फिल्मों में आने से पहले ‘एड्रेनोक्रोम’ नाम की शॉर्ट फिल्म में काम किया था जो ऐसी नशीली ड्रग के बारे में थी जिसे लेने की लत पड़ जाए तो नशेड़ी को फिर हत्याएं करनी पड़ती है क्योंकि वो ड्रग इंसानी शरीर में ही मिल सकती है.
9. यही फिल्म वरुण ने करण जौहर और अयान मुखर्जी को दिखाई. वरुण का कहना है कि इसे देखने के बाद ही करण ने उनको ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ (2012) में लेने का फैसला किया और इसमें उनका डेविड धवन का बेटा होने का कोई रोल नहीं था. हालांकि ऐसा नहीं लगता. अगर वे डेविड धवन के बेटे नहीं होते तो करण ‘स्टूडेंट..’ को खड़ा ही नहीं कर पाते, उसे बेच नहीं पाते. उस फिल्म की एक बड़ी हाइलाइट यही थी कि इससे आलिया भट्ट और वरुण धवन जैसे दो स्टार किड्स को लॉन्च किया जा रहा है.
10. वो जिम कैरी, एडी मर्फी, रॉबिन विलियम्स, गोविंदा, मेहमूद के दीवाने थे. क्योंकि ये सब ऑन द स्पॉट कॉमेडी कर सकते थे, इम्प्रोवाइज़ कर सकते थे. वरुण को इस विधा का जुनून था. दोस्तों के हर ग्रुप में एक विदूषक और जोकर दोस्त हमेशा होता है जो अपने ग्रुप की जान होता है, वरुण का जिंदगी भर का ख़्वाब था कि अपने ग्रुप की जान वो बनें.
11. वरुण कहते हैं कि उनको शर्टलेस सीन करने का आत्मविश्वास अपने पिता से आता है जो अपने घर में सिर्फ शॉर्ट्स और नाइकी के जूते पहनकर घूमते रहते हैं, नंगे बदन. एक बार वरुण ने उनको टोका कि “पापा ये क्या है, लोग बैठे हैं” तो डेविड का जवाब था – “ये मेरा घर है, मीटिंग करनी है तो घर के बाहर करो.” वरुण जब छोटे थे और घर पर ट्यूशन चल रही होती थी तब भी डेविड यूं ही घूमते थे. वरुण कहते थे – ‘पापा मेरी ट्यूशन होती है, गर्ल्स भी आती है..’ इस पर डेविड कहते थे – “तो? मैं ऐसे दिख रहा हूं तो क्या दिक्कत है.” फिर वो शर्ट वगैरह पहनकर आते थे और टीचर के पास आकर बोलते थे, “पढ़ रहा है? पढ़ रहा है कि नहीं पढ़ रहा है, मुझे नहीं लगता पढ़ेगा ये.” फिर चले जाते थे.
12. पिता डेविड धवन की सारी फिल्मों में से वरुण को जो सबसे ज्यादा पसंद है वो है ‘स्वर्ग’ (1990).
13. डायरेक्टर करण जौहर की ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ जैसी बड़ी कमर्शियल फिल्म से डेब्यू करने के बावजूद वरुण को इसका कोई तनाव नहीं था. तब उनका कहना था कि – “पहली फिल्म है इसलिए मुझे कोई टेंशन नहीं थी. क्योंकि जो भी बिल फटेगा, वो करण जौहर पे फटेगा.”
14. अपने पिता की फिल्म ‘मैं तेरा हीरो’ में काम करते हुए शुरू में वरुण की हालत खराब हो गई थी. डेविड ने किसी एक्टर के साथ जितनी सख्ती नहीं की, उतनी वरुण के साथ की. फिल्म में एक सीन था जहां वरुण को अनुपम खेर की तरफ देखकर कुछ बोलना था, लेकिन डेविड ने वहां से अनुपम को हटा दिया. एक टेनिस बॉल वरुण के सामने स्टैंड पर रख दी और कहा कि “यही अनुपम खेर है, अब डायलॉग बोल”. वरुण इधर उधर देखने लगे. उन्हें लगा ये मजाक है कि क्या हो रहा है. उधर डेविड गुस्से में थे. ज़ोर से बोले, “कर!” वरुण ने कहा, “अनुपम सर तो (यहां) हैं न, तो ये टेनिस बॉल क्यों लगाया है?” इस पर डेविड ने कहा कि “अगर तुम टेनिस बॉल के साथ एक्टिंग नहीं कर सकते हो तो तुम्हे एक्टिंग नहीं आती है.”
15. डेविड को लगता था कि धर्मा प्रोडक्शंस की ‘स्टूडेंट..’ वाली आरामदायक दुनिया से आए वरुण को ज़मीनी एक्टिंग नहीं आती. इसलिए वे उनको बहुत बुरा ट्रीट करते थे. जैसे ‘मैं तेरा हीरो’ के एक सीन में वरुण को बाइक चलाते हुए शॉट देना था. वे बाइक मोड़ते हुए गिर गए. तो डेविड ने जोर से माइक पर बोला – “हां, भेजो भेजो इसका धर्मा (प्रोडक्शंस). उधर ही लाड प्यार से बड़ा किया है न उसको. उधर ही जाने दो उसको. ये नहीं होगा इससे.”
16. ‘मैं तेरा हीरो’ की शूटिंग के दौरान उनका पापा से झगड़ा भी होता था. शूट के दूसरे दिन तो वरुण रोने लगे थे. वे अपनी वैन में रो रहे थे. ऊपर से उनके भाई रोहित वहां आए तो उनको देखकर हंसने लगे. रोहित ने वरुण को कहा कि “पापा ने संजय दत्त, सलमान खान, अजय देवगन जैसे टफ लोगों के साथ काम किया है. वो इतने हार्डकोर लोग हैं. पापा तो इसी तरीके से अपना सिनेमा फ्रंटफुट पर बनाते हैं. वो तुमको कोई अलग से नहीं ट्रीट करने वाले. तुमको उनके लेवल पर जाना पड़ेगा.”
17. अपने पिता की फिल्म में काम करने के दौरान जब वरुण दूसरे डायरेक्टर की फिल्में करने जाते थे तो वो हैंगओवर रहता था. इसके साइड इफेक्ट्स देखने को मिलते थे. जैसे जब वे ‘बदलापुर’ कर रहे थे तो एक डेथ सीन था जो वरुण ने बहुत लाउड किया. वो एक अस्पताल में फिल्माया जा रहा था. वरुण इतने लाउड थे कि आस-पास बेड और दूसरे वार्ड के लोग भी चौंक गए. इस पर डायरेक्टर श्रीराम राघवन उनके पास आकर बोले, “अरे क्या कर रहा है, धीरे करे. उस दर्द को अंदर महसूस कर, फिर कर. फिर जाकर वरुण उस स्टाइल में एडजस्ट हुए.”
18. वरुण एक फिल्म भी डायरेक्ट कर चुके हैं. इसमें अर्जुन कपूर ने भी एक्टिंग की थी. ये उन्होंने तब बनाई थी जब वे बैरी जॉन के यहां एक्टिंग की पढ़ाई कर रहे थे. इस फिल्म का नाम था ‘वाइट माउंटेन’ और ये ड्रग्स और मर्डर की कहानी थी.