अब सऊदी अरब में शहजादों और कारोबारियों पर बढ़ी कार्रवाई, ट्रैवल बैन भी हुआ लागू
रियाद: सऊदी अरब में भ्रष्टाचार विरोधी जांच के लपेटे में शाही परिवार के कई सदस्य, मंत्री और दिग्गज व्यापारी आ चुके हैं। सोमवार को यह कार्रवाई तब और आगे बढ़ी जब देश की सबसे बड़ी ट्रैवल कंपनी के संस्थापकों में से एक को कथित तौर पर हिरासत में ले लिया गया। इस खबर के बाद अल तैयार ट्रैवल के शेयर मार्केट खुलने के शुरुआती चंद मिनटों में ही 10 प्रतिशत तक लुढ़क गए। कंपनी ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया कि नसीर बिन अकील अल तैयार, जो अब भी बोर्ड मेंबर हैं, को अधिकारियों ने हिरासत में लिया है।
कंपनी ने ज्यादा डिटेल नहीं दिए लेकिन सरकार की करीबी माने जानेवाली ऑनलाइन इकनॉमिक न्यूज सर्विस SABQ ने बताया कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की अगुआई वाले एक नये भ्रष्टाचार-रोधी निकाय ने एक जांच के सिलसिले में उन्हें हिरासत में लिया है। दर्जनभर लोगों को भ्रष्टाचार विरोधी जांच के सिलसिले में हिरासत में लिया गया है और इस कदम से प्रिंस मोहम्मद की सत्ता पर पकड़ और मजबूत हुई है। हालांकि परंपरागत व्यापारिक प्रतिष्ठानों में चिंता बढ़ गई है। अरबपति शहजादे अलवलीद बिन तलाल, जिन्हें सऊदी अरब के इंटरनैशनल इन्वेस्टर के तौर पर जाना जाता है, को भी हिरासत में लिया गया है।
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सऊदी अरब के प्रमुख अखबार ओकैज ने सोमवार को अपने फ्रंट पेज पर व्यापारियों को चुनौती दी है कि वे अपनी संपत्तियों के स्रोत को बताएं। अखबार ने बड़े और चमकदार लाल हेडलाइन में पूछा है, ‘आप ये कहां से पाए?’
पूरे अरब में प्रसार वाले अखबार अल-अशराक अल-अवसात ने लिखा है कि नो-फ्लाई लिस्ट को बढ़ाया गया है कि सऊदी अरब के कुछ एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा बल प्राइवेट जेट्स के मालिकों को बिना परमिट के उड़ान भरने से रोक रहे हैं। सऊदी के अधिकारियों के मुताबिक जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनमें से 11 शहजादे, 4 मंत्री और 10 पूर्व मंत्री शामिल हैं।
एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि हिरासत में लिए गए लोगों पर मनी लॉन्ड्रिंग, रिश्वतखोरी, अधिकारियों से उगाही और व्यक्तिगत फायदे के लिए पद के दुरुपयोग के आरोप शामिल हैं। इन आरोपों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हो पाई है और जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनके सदस्यों से संपर्क नहीं हो सका।
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शनिवार को एक शाही आदेश में कहा गया कि ये कार्रवाई अवैध तरीके से धन इकट्ठा करने के लिए सार्वजनिक हितों के ऊपर अपने हितों को रखनेवाले लोगों के शोषण के जवाब में की गई है।
विश्लेषकों का कहना है कि ये गिरफ्तारियां क्राउन पिंस द्वारा ताकतवर लोगों को अपने रास्ते से हटाने के तौर पर भी की गई हैं क्योंकि क्राउन प्रिंस दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश की अर्थव्यवस्था और समाज को नया आकार देना चाहते हैं।
एक साल से ज्यादा वक्त से क्राउन प्रिंस मोहम्मद देश के सैन्य, विदेश, आर्थिक और सामाजिक नीतियों पर आखिरी फैसला लेनेवाले के तौर पर उभरे हैं। इससे अल सऊद वंश के कुछ हिस्सों में असंतोष पैदा हुआ है।
प्रिंस मितेब बिन अब्दुल्लाह को भी हिरासत में लिया गया है और उन्हें ताकतवर नैशनल गार्ड के मंत्री पद से हटा दिया गया है। यह इस साल जून में शाही परिवार में हुए ताख्तापलट की याद दिलाता है जब अब्दुल्लाह के चचेरे बड़े भाई मोहम्मद बिन नायेफ को सिंहासन के उत्तराधिकारी और आंतरिक मंत्री पद से हटाकर अब्दुल्लाह को उनकी जगह दी गई थी।
सऊदी अरब में सार्वजनिक कोष और शाही संपत्ति के बीच अंतर स्पष्ट नहीं है। इसकी वजह यह है कि देश में राजशाही है जो इस्लामी व्यवस्था के हिसाब के शासन करती है, जहां ज्यादातर कानूनों को व्यवस्थित ढंग से कानून का रूप नहीं दिया गया है और जहां चुनी हुई संसद का वजूद नहीं है। विकिलिक्स केबल्स ने प्रत्येक सऊदी शाही सदस्य के मिलनेवाले बहुत ही ज्यादा मासिक वेतन के साथ-साथ उनकी शाही ठाट-बाट वाली जीवनशैली पर खर्च में इस्तेमाल होनेवाले तमाम पैसे बनानेवाली योजनाओं का विवरण दिया था।
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सऊदी अरब में ज्यादातर आम लोगों ने शहजादों और मंत्रियों पर हुई इस कार्रवाई की तारीफ की है। उनका कहना है कि इस तरह की कार्रवाई का लंबे समय से इंतजार था और अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए इसकी बहुत जरूरत थी।