अमेरिका में पाकिस्तानियों ने की बैठक, आतंकियों को मिलने वाली मदद को रोकने का किया ऐलान
असंतुष्ट पाकिस्तानियों के एक समूह ने वहां की सरकार से ऐसे आतंकवादी समूहों के “वित्तपोषण एवं सहयोग” को रोकने का आह्वान किया है जो देश में खुले तौर पर काम कर रहे हैं. इनमें मुंबई आतंकवादी हमले के सरगना हाफिज सईद नीत जमात-उद-दावा का नाम भी शामिल है.
असंतुष्ट सदस्यों ने विचार-विमर्श के लिए यहां तीन दिवसीय एक सम्मेलन में हिस्सा लिया और बढ़ती तानाशाही, लोक नीतियों पर सेना के बढ़ते नियंत्रण और असैनिक संस्थानों को कमजोर किए जाने को लेकर चिंता जाहिर की.
अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व दूत हुसैन हक्कानी ने सम्मेलन के समापन के दिन रविवार को कहा, “पाकिस्तान के लोग हमेशा सुखी रहें और उन्हें उस तानाशाही के बुरे सपने से निकलने का रास्ता मिल सके जो हमारे देश को लगातार श्रापित कर रहा है.”
‘‘आतंकवाद के खिलाफ और मानवाधिकारों के साथ दक्षिण एशियाई’’ (साथ) बैनर तले और हक्कानी एवं अमेरिकी स्तंभ लेखक मोहम्मद ताकी द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन में प्रतिभागियों ने एक प्रस्ताव में कहा कि पाकिस्तान में 2018 के चुनावों के नतीजों में विश्वसनीयता का अभाव है और इन्हें राजनीतिक दृष्टि से अत्याधिक योजनाबद्ध चुनावों में से एक की तरह देखा गया.
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प्रस्ताव में कहा गया, “चुनावों ने पीटीआई समर्थकों के बीच एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीदें जगा दी थीं लेकिन अनुमान के उलट नयी सरकार के पहले तीन महीनों में उन उम्मीदों को झटका लग गया.”
पाकिस्तान में खुलेआम काम कर रहे आतंकवादी समूहों के “वित्तपोषण एवं सहयोग” को रोकने की सरकार से अपील करते हुए प्रतिभागियों ने तहरीक-ए-लबैक पाकिस्तान (टीएलपी), जमात उद दावा (जेयूडी), लश्कर-ए-झांग्व (एलईजे) समेत अन्य घृणा समूहों और चरमपंथी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की.