अभी अभी: फिर दिखा पीएम मोदी का 56 इंच….!

नई दिल्ली: तीन तलाक खत्म होने का पूरा श्रेय पीएम मोदी को दिया जा रहा है। लोग इसको लेकर मजेदार पोस्ट कर रहे हैं। आइए देखें जरा यह महज संयोग है लेकिन राजनीति में ऐसे संयोग बेहद अहमियत रखते हैं। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसे समय आया है, जब बीजेपी 2019 के लिए ‘मिशन 360’ का आगाज कर चुकी है।
फिर दिखा पीएम मोदी का 56 इंच, दिनांक 22+8+17+(3जज×3तलाक) 9 = 56 फिर से 56 इंच
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह संगठन से लेकर अपनी सरकारों तक के पेच कसते दिख रहे है। वहीं फैसले से खुश मुस्लिम महिलाए 2019 में मोदी को 400 सीट दिलाने की बात कह रही हैं। तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बीजेपी के लिए अपने कोर वोटर्स को गोलबंद करने का जरिया बन सकता है। वहीं, पार्टी के पास अल्पसंख्यक विरोधी छवि को बदलने का भी बड़ा मौका है।
दरअसल ‘तीन तलाक’ का मुद्दा महज मुस्लिम महिलाओं को एक सामाजिक कुरीति से बचाने की कोशिश तक सीमित नहीं था बल्कि इसके पीछे वोटों के ध्रुवीकरण का मंसूबा भी छुपा हुआ था। इसी वजह से इस मुद्दे को उस-उस वक्त ज्यादा धार दी गई, जब-जब किसी न किसी राज्य के विधानसभा चुनाव होने होते थे।
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फैसला आने के बाद बीजेपी जिस तरह के मूड में दिखाई पड़ रही है उससे तो यही जान पड़ता है कि आने वाले दिनों में वह देश भर में इस मुद्दे को भुनाने की पुरजोर कोशिश में होगी। ऐसा माना जाता है कि इससे पार्टी को अपने कोर वोटर्स को खुश करने का मौका मिलेगा जो कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर कदम ना उठाने के लिए पार्टी को कोसते रहे हैं।
नरेंद्र मोदी और अमित शाह की बीजेपी की एक बड़ी खासियत यह बन गई है कि वह हर एक मुद्दे पर विपक्ष को बैकफुट पर लाकर उसे हां में हां मिलाने को मजबूर कर देती है। तीन तलाक के मुद्दे पर भी मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने यही कर दिखाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले बीजेपी जब इस मुद्दे को उठाती थी तो विपक्ष उस पर पर्सनल लॉ बोर्ड में दखलंदाजी का आरोप लगाता था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब विरोधी दल भी इसका स्वागत कर रहे हैं।
बीजेपी की छवि एक ऐसी पार्टी के रूप में स्थापित हो चुकी है जो मुसलमानों से दूरी बना कर चलती है। 2014 के बाद किसी न किसी रूप में ऐसे घटनाक्रम भी हुए जिसकी वजह से देश के बाहर तक यह संदेश गया कि भारत मे मुसलमान दहशत में जी रहे हैं लेकिन बीजेपी इन आरोपों को हमेशा सिरे से खारिज करती रही है। अपना स्टैंड यह बताती रही है कि वह धार्मिक आधार पर किसी भी नागरिक से भेदभाव नहीं करती। तीन तलाक के पीछे उसका राजनीतिक मंसूबा चाहे जो भी हो लेकिन उसे यह कहने का मौका तो मिला ही है कि भारत में मुस्लिम समाज में महिलाओं के साथ होने वाली इस नाइंसाफी को इतने सालों में किसी भी तथाकथित सेकुलर पार्टी ने खत्म करने की हिम्मत नहीं दिखाई। अगर यह काम किसी ने किया तो वह बीजेपी ही है।