अब महंगी दवाई से नहीं, इन 5 चीज़ों से करें कई बीमारियों का इलाज

वैसे तो हर एक पेड़ और पौधा औषधीय गुणों को लिए होता है लेकिन कितने ऐसे लोग होंगे जिन्हें इनकी औषधीय महत्ता की जानकारी नहीं। इस लेख के जरिये हमारा ये प्रयास है कि हमारे इर्द-गिर्द उपलब्ध वनस्पतियों के औषधीय महत्व को हम जानें ताकि घर बैठे-बैठे ही अनेक स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का निराकरण कर सकते हैं। यद्द्पि अनेक हर्बल फार्मुलों के क्लीनिकल प्रमाण प्राप्त नहीं हैं लेकिन आदिवासी इन नुस्खों को सदियों से अपनाए हुए हैं और यही अपने आप में एक प्रामाणिकता है। चलिए जानते हैं अदरक, हल्दी, मेथी, सौंफ और गाजर के औषधीय गुणों और उनसे जुडे आदिवासियों के पारंपरिक नुस्खों के बारे में।pjimage-1-2

1) अदरक

आम घरों के किचन में पाया जाने वाला अदरक खूब औषधीय गुणों से भरपूर है। सभी प्रकार के जोड़ों की समस्याओं में रात्रि में सोते समय लगभग ४ ग्राम सूखा अदरक, जिसे सोंठ कहा जाता है, नियमित लेना चाहिए। स्लिपडिस्क या लम्बेगो में इसकी इतनी ही मात्रा चूर्ण रूप में शहद के साथ ली जानी चाहिए। गाउट और पुराने गठिया रोग में अदरक एक अत्यन्त लाभदायक औषधि है। अदरक लगभग (५ ग्राम) और अरंडी का तेल (आधा चम्मच) लेकर दो कप पानी में उबाला जाए ताकि यह आधा शेष रह जाए। प्रतिदिन रात्रि को इस द्रव का सेवन लगातार किया जाए तो धीमें धीमें तकलीफ में आराम मिलना शुरू हो जाता है। आदिवासियों का मानना है कि ऐसा लगातार ३ माह तक किया जाए तो पुराने से पुराना जोड़ दर्द भी छू-मंतर हो जाता है।

2) हल्दी

हम सभी हल्दी के बहुत से गुणों से चिरपरिचित है और रोजमर्रा की जिंदगी में इसका इस्तेमाल ना सिर्फ मसाले के तौर पर करते हैं बल्कि हल्दी आज भी पारंपरिक नुस्खों में अपना एक महत्वपूर्ण स्थान लिये है। हल्दी में उड़नशील तेल, प्रोटीन, खनिज पदार्थ, कारबोहाईड्रेट आदि के कुर्कुमिन नामक एक महत्वपूर्ण रसायन के अलावा विटामिन A भी पाए जाता है। हल्दी मोटापा घटाने में सहायक होती है। हल्दी में मौजूद कुर्कुमिन शरीर में जल्दी घुल जाता है। यह शरीर में वसा वाले ऊतकों के निर्माण को रोकता है। पारंपरिक हर्बल जानकारों की मानी जाए तो यह शरीर के किसी भी अंग में होने वाले दर्द को आसानी से कम कर देती है। यदि दर्द जोड़ों का हो तो हल्दी चूर्ण का पेस्ट बनाकर लेप करना चाहिए। हड्डी टूट जाने, मोच आ जाने या भीतरी चोट के दर्द से निजात पाने के लिए गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीना फायदेमंद है। आधुनिक शोधों से पता चलता है कि हल्दी एल डी एल कोलेस्ट्रॉल को कम करती है जिससे हृदय संबंधी रोग होने का खतरा कम हो सकता है।

मेथी बहुत ही कारगर औषधि है। इसकी पत्तियों की तरकारी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसके बीजों में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन होने से ये कॉड लिवर ऑयल जैसे पोषक और बल प्रदान करने वाले होते हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। मेथी पाचन शक्ति और भूख बढ़ाने में मदद करती है। आधा चम्मच मेथी दाना को पानी के साथ निगलने से अपचन की समस्या दूर होती है। मेथी के बीज आर्थराइटिस और साईटिका के दर्द से निजात दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए १ ग्राम मेथी दाना पाउडर और सोंठ पाउडर को थोड़े से गर्म पानी के साथ दिन में दो-तीन बार लेने से लाभ होता है।

4) सौंफ

भोजन संपन्न होने के बाद खाना पचाने के तौर पर ली जाने वाली सौंफ गजब के औषधीय गुणों वाली होती है। सौंफ को लगभग हर भारतीय घरों में किचन में मसाले की तरह और पानदान मुखवास की तरह देखा जा सकता है। सौंफ में कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, आयरन और पोटेशियम जैसे कई अहम तत्व पाए जाते हैं। आदिवासियों का मानना है कि सौंफ के निरन्तर उपयोग से आखों की रौशनी बढती है और मोतियाबिन्द की शिकायत नहीं होती। प्रतिदिन दिन में तीन से चार बार सौंफ के बीजों की कुछ मात्रा चबाने से खून साफ होता है और त्वचा का रंग भी साफ हो जाता है। डाँग गुजरात के अनुसार सौंफ के नित सेवन से शरीर पर चर्बी नही चढती और कोलेस्ट्राल भी काफी हद तक काबू किया जा सकता है और इस बात की प्रमाणिकता आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है।

5) गाजर

गाजर एक चिरपरिचित सब्जी है जो भिन्न-भिन्न व्यंजनों में इस्तमाल की जाती है। गाजर की पैदावार पूरे भारतवर्ष में की जाती है। गाजर में प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट, चर्बी, फास्फोरस, स्टार्च तथा कैल्शियम के अलावा केरोटीन प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। गाजर के सेवन से शरीर मुलायम और सुन्दर बना रहता है तथा शरीर में शक्ति का संचार होता है और वजन भी बढ़ता है। बच्चों को गाजर का रस पिलाने से उनके दांत आसानी से निकलते हैं और दूध भी ठीक से पच जाता है। जिन्हें पेट में गैस बनने की शिकायत हो उन्हें गाजर का रस या गाजर को उबालकर उसका पानी पीना चाहिए। गाजर का १२५ गाम रस को खाली पेट सुबह तीन दिनों तक लगातार पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

(ये हर्बल टिप्स डॉक्टर डीपक आचार्य जी के हैं।  वे पिछले 18 सालों से भारत के सुदूर वनवासी इलाकों से पारंपरिक हर्बल ज्ञान को संकलित कर आधुनिक विज्ञान की नज़रों से परख रहें हैं। पेशे से वैज्ञानिक डॉ आचार्य ने अब तक 6 किताबें लिखी हैं। हाल ही में उनकी किताब ‘हर्बल जीवन मंत्र’ आई है।)

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