अफगानिस्तान-अमेरिका के नए डेवलमेंट से भारत पर पड़ेगा ये असर, अरबों का निवेश अधर में

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सीरिया से अमेरिका के सैनिकों की वापसी के ऐलान के बाद अफगानिस्तान से भी सैनिकों की वापसी की घोषणा कर दी है. इसके बाद मध्य एशिया और दक्षिण एशिया में सुरक्षा समीकरण बिगड़ने लगे हैं. अफगानिस्तान में सैन्य उपस्थिति कम करने के अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्णय की तीव्र आलोचना तो हो ही रही है, हमारे लिए ये समझना जरूरी है कि अमेरिका के इस कदम का भारत और पड़ोसी देशों पर क्या असर पड़ेगा.

ट्रम्प की अफगानिस्तान से सेना वापस बुलाने की ये घोषणा थोड़ा हैरान करती है. क्योंकि ये ट्रम्प ही थे जिन्होंने मध्य एशिया में संतुलन बनाने के लिए और सैन्य बल भेजने के संकेत दिए थे. अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक अगले दो माह में अमेरिका अपने 50 प्रतिशत सैनिक अफगानिस्तान से वापस बुला लेगा. वर्तमान में अफगानिस्तान में अमेरिका के 14 हजार सैनिक तैनात हैं. अमेरिका के इस फैसले के बाद रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है. ऐसी अटकलें हैं कि वो अमेरिका के इस फैसले के पक्ष में नहीं थे.v

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अफगानिस्तान पर 1996 में तालिबान ने कब्ज़ा कर लिया था और कठोर सरिया कानून का शासन स्थापित किया था, लेकिन 2001 में अमेरिका में 9/11 के हमले के बाद अमेरिकी सेना के नेतृत्व में नाटो ने अफगानिस्तान पर हमला कर तालिबान का शासन खत्म किया था. हालांकि तालिबान का प्रभाव अभी भी अफगानिस्तान पर है और वो शांति बहाली के प्रयासों में वहां की चुनी हुई सरकार से किसी भी सूरत में समझौता करने के पक्ष में नहीं है. अमेरिका के इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आई हैं. हालांकि इस निर्णय का इस उप-महाद्वीप पर सबसे ज्यादा नकारात्मक असर भारत पर पड़ सकता है.

हैरानी भरा फैसला

ट्रंप प्रशासन की ओर से लिए गए इस फैसले ने अफगान अधिकारियों को तो हैरान किया ही समूचे विश्व में इससे खलबली मच गई. अफगानिस्‍तान में पिछले 17 वर्षों से अमेरिकी सेना तैनात है. जिस आतंकवाद की समस्या को लेकर अमेरिकी सेना वहां गई थी वो समस्या अभी भी मौजूद है. अमेरिका में सैन्य उपस्थिति कम करने के अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्णय का दक्षिण एशिया की शान्ति और स्थिरता पर दूरगामी असर होने की संभावना है. राष्ट्रपति ट्रंप का ये निर्णय इसलिए भी अचरज में डालता है क्योंकि उनका ये कदम अगस्त 2017 में घोषित अमेरिकी दक्षिण एशिया नीति से ठीक उलट है. उस वक्त उन्होंने मध्य एशिया में अमेरिका की सैन्य भागीदारी बढ़ाने के संकेत दिए थे.

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