पीजीआईएमएस के कुलपति डॉ. ओपी कालरा ने पीजी अंतिम वर्ष के छात्र डॉक्टर ओंकार की मौत के 24 घंटे बाद बाल रोग की एचओडी को निलंबित कर दिया है। निलंबन का आधार मृतक के परिजनों, रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन व डॉक्टर पर दर्ज एफआईआर को बनाया गया है। संस्थान की इस कार्रवाई के बाद भी डॉक्टर की मौत पर गुस्साए रेजिडेंट डॉक्टरों ने डॉ. गीता गठवाला की गिरफ्तारी व अन्य मांगों को प्रशासन के समक्ष रखा है। सभी ने चेतावनी दी कि जब तक अधिकारी उनकी सभी मांगों को नहीं मान लेते वह हड़ताल बंद नहीं करेंगे।
पीजी हॉस्टल के कमरा नंबर 33 में रहने वाले कर्नाटक के डॉ. ओंकार की मौत के 24 घंटे बाद भी डॉक्टरों का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है। संस्थान के शव गृह के बाहर शुक्रवार सुबह से ही रेजिडेंट डॉक्टरों की भीड़ जमा रही और ओंकार का पोस्टमार्टम होने के बाद भी देर शाम तक किसी ने शव को उठाने नहीं दिया। पहले डॉक्टरों ने रोष जताया कि अधिकारी डॉ. ओंकार की मौत को लेकर अपनी जिम्मेदारी नहीं समझना चाहते। सीनियर फेकेल्टी के साथ ऐसी घटना होने पर सारी फेकेल्टी एकत्रित हो जाती है। जबकि शुक्रवार को शव गृह पर कोई सीनियर डॉक्टर मौके पर नहीं पहुंचा। हालांकि, मृतक के परिजनों के आने के ढाई घंटे बाद प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और डॉक्टरों से मौके पर कहासुनी हुई। इसके बाद अधिकारियों ने परिजनों से अलग बात की और एचओडी को निलंबित कर दिया गया। रेजिडेंट डॉक्टर अभी भी अपनी अन्य मांगों पर अडे़ हैं कि, जब तक उनकी सभी मांगों को नहीं माना जाता वह हड़ताल समाप्त करने वाले नहीं हैं।
12 जून को थी बहन की शादी, घर न पहुंच पाने के गम में लगा ली फांसी
पीजीआईएमएस के शव गृह परिसर में उस समय मातम छा गया, जब कर्नाटक से डॉक्टर ओंकार की मां अपने बेटे को पुकारती हई पोस्टमार्टम कक्ष में घुसीं। रो-रो कर जहां मां का बुरा हाल था। वे बोलीं हमने अपने लाडले को दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए भेजा था, अपनी जिंदगी गंवाने के लिए नहीं। बता दें कि डॉ. ओंकार की बहन की शादी 12 जून को कर्नाटक में थी। बहन की शादी में न पहुंच पाने के गम में डॉ. ओंकार ने वीरवार रात दस बजे हॉस्टल के कमरा नंबर 33 में फांसी का फंदा लगा आत्महत्या कर ली थी। साथी डॉक्टरों ने एचओडी पर छुट्टी न दिए जाने का आरोप लगाया था। वहीं 24 घंटे बाद कर्नाटक से रोहतक पहुंचे परिजनों की चीत्कार ने पोस्टमार्टम हाउस पर मौजूद सभी लोगों को रुला दिया।
शाम साढे़ छह बजे शव गृह की शांति व पोष्टमार्टम कक्ष की दीवारों को चीरती हुई ओंकार की मां की आवाज एक ही सवाल कर रही थी कि उनके बेटे को फीते बांधने तो आते नहीं, उसने फांसी की गांठ कैसे लगा ली। उनका बेटा इतना बुजदिल आखिर कैसे हो गया। उन्होंने आरोप जड़ते हुए कहा कि छह माह से बहन की शादी में आने का इंतजार कर रहा था उनका बेटा, लेकिन उसकी सीनियर डॉक्टर ने नहीं आने दिया। वह फोन पर बताता था कि एचओडी हमेशा तंग करती हैं।
रेलवे वर्कशॉप में काम करने वाले ओंकार के पिता मानिक व भाई महंताशी ने बताया कि ओंकार जब भी फोन करता था वह हमेशा यही शिकायत करता था कि उसे बेवजह परेशान किया जाता है और घंटों लंबी ड्यूटी ली जाती है। 13 जून को 12 बजे उनकी आखिरी बार फोन पर बात हुई थी। पीजी में प्रवेश करने के तीन माह बाद ही उसे केस में उलझा दिया गया। क्या सीनियर डॉक्टर की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है। बहन की शादी में जाने से रोका गया और थिसिस जमा कराने का दबाव बनाया गया। इतनी बड़ी घटना हो गई, अब कहां हैं एचओडी, कोई बोलने वाला नहीं है। उसे कहा जाता था कि शादी जरूरी है या करियर। डिग्री चाहिए तो काम पूरा करो। हमने अपने बच्चे को दूर भेजा था, यहां किसी ने कोई ध्यान नहीं दिया।
सुबह चार बजे शव ट्रॉमा सेंटर भेजा
वीरवार देर रात डॉ. गीता गठवाला, कुलपति डॉ. ओपी कालरा, निदेशक डॉ. राहतास कंवर यादव, एमएस डॉ. एमजी वशिष्ठ की रेजिडेंट डॉक्टरों ने नारेबाजी करते हुए डेढ़ किलोमीटर की पैदल यात्रा करवा दी। इसके बाद ओंकार के शव के पास ही सभी अधिकारियों को घंटों डॉक्टरों ने खड़ा रखा। सुबह करीब साढे़ चार बजे शव को ट्रामा सेंटर में जाने दिया गया।
डॉक्टरों की हड़ताल, ओपीडी से लेकर आपात सेवाएं प्रभावित
पीजीआईएमएस के बाल रोग विभाग के डॉक्टर ओंकार की आत्महत्या करने के मामले के बाद वीरवार रात से संस्थान में हंगामा चल रहा है। रेजिडेंट डॉक्टरों ने रात भर हंगामा किया और सुबह इंटर्न भी विजय पार्क में धरना स्थल पर पहुंच गए। देर रात से ही डॉक्टरों ने आपात विभाग, ट्रॉमा सेंटर व वार्ड में काम छोड़ दिया। शुक्रवार सुबह तीनों अहम सेवाओं के साथ ओपीडी का कार्य भी प्रभावित रहा।
डॉक्टरों की हड़ताल की सूचना के चलते सामान्य दिनों की तुलना में शुक्रवार को ओपीडी की संख्या आठ हजार से आधी पहुंच गई। आपात विभाग व ट्रॉमा सेंटर में मरीजों की संख्या काफी कम रही।
रेजिडेंट डॉक्टरों में रोष, बाल रोग के डॉक्टरों ने उठाए सवाल
-सीनियर डॉक्टर सारी जिम्मेदारी सीनियर व जूनियर रेजिडेंट पर ही क्यों डालते हैं
-पीजी कराने के नाम पर सीनियर डॉक्टर उन पर मनमर्जी थोपते हैं
-मरीज की फाइल जमा कराने का कार्य डॉक्टर की जिम्मेदारी क्यों
-ओपीडी व आपात विभाग में कंसलटेंट व सीनियर क्यों नहीं करते ड्यूटी
-एमएलसी केसों की फाइल की जिम्मेदारी रेजिडेंट डॉक्टरों की ही क्यों
-रेजिडेंट डॉक्टरों का कार्य समय क्यों नहीं किया जाता है तय
-सीनियर की बात न मानने पर एक सप्ताह से 21 दिन कर देते हैं अनुपस्थित
‘गो हैंग, अदरवाइज आई विल हैंग यू’ बोल दी जाती है धमकी
बाल रोग विभाग के डॉक्टरों ने बताया कि उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। विभाग में उन्हें ‘गो हैंग, अदरवाइज आई विल हैंग यू’ बोल कर धमकी दी जाती है। कहा जाता है कि वह उन्हें पास ही नहीं होने देंगे और वह कर क्या लेंगे। रेजिडेंट डॉक्टरों ने बताया कि यह बात किसी एक विभाग के एक डॉक्टर की नहीं है। अधिकांश विभागों में सभी सीनियर डॉक्टरों की यही स्थिति है। सीनियर, रेजिडेंट डॉक्टर को अपने पैरों की जूती समझते हैं और हमेशा प्रताड़ित करते रहते हैं। डॉ. ओंकार तो दूर यहां कई ओंकार और हैं जो डर के मारे अपने साथ हो रही दुर्दशा का वर्णन भी नहीं कर सकते। कई डॉक्टरों को यहां ब्लैकमेल तक किया जाता है। इसके लिए संस्थान को एक जांच कमेटी गठित करनी चाहिए।
कैंडल मार्च निकाला, एचओडी के घर के बाहर रखी ओंकार की फोटो
रेजिडेंट डॉक्टरों ने शुक्रवार देर शाम शव गृह से कैंडल मार्च निकाला और कैंपस में एचओडी के घर के बाहर ओंकार की फोटो रखकर वहीं उसे श्रद्धांजलि दी। इससे पहले रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने कोलकाता की डॉक्टर के साथ मारपीट मामले में कैंडल मार्च निकालने की चेतावनी भी दी थी। डॉक्टरों की केंद्र व राज्य सरकार से मांग थी कि डॉक्टरों की सुरक्षा के सख्त कानून बनाए जाए।